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पतिब्रता पति मिली है लग ,...

भजन - पतिब्रता पति मिली है लग ,...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


पतिब्रता पति मिली है लग, जहँ गगन-मँडलमें परमभाग ॥

जहँ जल बिन कँवला बहु अनंत, जहँ बपु बिनु भौंरा गुंजरंत ।

अनहद बानी जहँ अगम खेल, जहँ दीपक जरै बिन बाती तेल ॥

जहँ अनहद-सबद है कहत घोर, बिनु मुख बोले चात्रिक मोर ।

जहँ बिन रसना गुन बदति नारि, बिन पग पातर निरतकारि ॥

जह~म जल बिन सरवर भरा पूर, जहँ अनंत जोत बिन चंद-सूर ।

बारह मास जहँ रितु बसंत, धरैं ध्यान जहँ अनँत संत ॥

त्रिकुटी सुखमन जहँ चुवत छीर, बिन बादल बरसौ मुक्ति नीर ।

अमरत-धारा जहँ चलै सीर, कोई पीवै बिरला संत धीर ॥

ररंकार धुन अरूप एक, सुरत गही उनहीकी टेक ।

जन 'दरिया' बैराट चूर, जहँ बिरला पहुँचे संत सूर ॥

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Last Updated : December 25, 2007

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