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बाबुल कैसे बिसरा जाई ? ...

भजन - बाबुल कैसे बिसरा जाई ? ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


बाबुल कैसे बिसरा जाई ?

जदि मैं पति-संग रल खेलूँगी, आपा धरम समाई ।

सतगुरु मेरे किरपा कीन्ही, उत्तम बर परनाई;

अब मेर साईंको सरम पड़ेगी, लेगा चरन लगाई ॥

तैं जानराय मैं बाली भोली, तैं निर्मल मैं मैली;

तैं बतरावै, मैं बोल न जानूँ, भेद न सकूँ सहेली ॥

तैं ब्रह्म-भाव मैं आतम-कन्या, समझ न जानूँ बानी;

'दरिया' कहै. पति पूरा पाया, यह निश्चय करि जानी ॥

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Last Updated : December 25, 2007

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