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५५

   { पंचावन्न }
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पंचावन्न रस   
९ काव्याचे, ८ योगशास्त्र, ९ भक्तिरस, ६ विषयांचे (१ पुष्प, २ गंध, ३ स्त्री, ४ शय्या, ५ वस्त्र व ६ अलंकार), १८ विद्यांचें व ५ मद्याचे अशा एकंदर पंचावन्न रसांची गणना प्राचीनांनीं केली आहे.
काव्यशास्त्र नवरसाः योगे चाष्टौ रसाः स्मृताः
भक्तियोगे नवरसाः ऋतवो विषये स्मृताः।
अष्टादश प्रकारा हि विद्यायाः परिकीर्तिताः
पञ्चमद्या रसा देवि पञ्चपञ्चाशदेव वै ॥ ([सु.])

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