प्रचेतस् n. एक प्रजापति, जो ब्रह्मा के मानसपुत्रों में से एक था
[वायु.६५.५३-५४] ।
प्रचेतस् (आंगिरस) n. एक वैदिक सूक्तद्रष्टा
[ऋ.१०.१६४] ।
प्रचेतस् II. n. प्राचीनबर्हिष तथा समुद्रतनया सवर्णा के दस पुत्रों का सामूहिक नाम । भागवत में इसके माता का नाम शतद्रुती दिया गया है
[भा.४.२४.१३] । ये दस प्रचेतस् धनुर्वेद में पारंगत थे
[विष्णु.१.१४.६] ;
[ह.वं.१.२.३३] । इन्होने समुद्रजल में रहकर दस हजार वर्षो तक तपस्या की । उस समय पृथ्वी पर जंगल ही जंगल थे । वृक्षों की वृद्धि को देखकर, प्रचेतस् जंगलों को नष्ट करने लगे । तब वृक्षों के अधिपति सोम ने इन्हें वृक्षों को नष्ट करने से रोका, तथा भेंट के रुप में वृक्षकन्या वार्क्षी अथवा मारिषा इन्हें अर्पित की (मारिषा देखिये) । दस प्रचेतसो द्वारा मारिषा से दक्ष नामक पुत्र हुआ । वही पुत्र दक्ष प्राचेतस तथा दक्ष प्रजापति नाम से प्रसिद्ध हुआ
[विष्णु.१.१५-९] ;
[ह.वं.१.२.४६] । इसी प्राचेतस दक्ष आगे चल कर ‘मैथुनज’ मानवसृष्टि का प्रारम्भ हुआ ।
प्रचेतस् III. n. एक स्मृतिकार, जिसका निर्देश पराशरस्मृति में प्राप्त स्मृतिकारोंकी तालिका में दिया गया है । किंतु याज्ञवल्क्य स्मृति में इसका निर्देश उपलब्ध नहीं है । नित्यकर्म, श्राद्ध, अशौच, एवं प्रायश्चित के संबंध में प्रचेतस् के मतों के गद्य उद्धरण ‘मिताक्षरा’, ‘अपरार्क’ ‘स्मृतिचंद्रिका’’, एवं ‘हरदत्त’
[गौतम.२३] में प्राप्त है । अशौच एवं प्रायश्चित के संबंध में इसने अपने ‘बृहत्प्रचेतस’ नामक ग्रंथ में दिये मतों का निर्देश ‘मिताक्षरा’
[याज्ञ.३.२०.२६३-२६४] । ‘हरदत्त’
[गौतम. २२.१८] , तथा अपरार्क में किया हैं । ‘रसोइया, शिल्पकार, वैद्य, दासदासी, राजा एवं राजा का अधिकारवर्ग, इन लोगों को अशौचपालन करने की आवश्यकता नहीं है’ ऐसा इसका अभिमत था
[याज्ञ. ३.२७] । प्रचेतस् के इस श्लोक का मेघातिथि ने स्मृति की तरह निर्देश किया है
[मनु.५.६०] । किंतु वहॉं प्रचेतस् के नाम का निर्देश नही किया गया है । इस उद्धरण से जाहिर है कि, मनुय एवं विष्णु जैसे श्रेष्ठ स्मृतिकारों में प्रचेतस् का निर्देश मेधातिथि के काल में हुआ करता हैं । इसके द्वारा लिखित ‘वृद्धप्रचेतस्’ नामक और भी ग्रंथ था, जिसके उद्धरण ‘मिताक्षरा’ एवं ‘अपरार्क’ में दिये गये है ।
प्रचेतस् IV. n. लेखदेवों में से एक ।
प्रचेतस् IX. n. वरुण का नामांतर
[भा.७.१२.२८] ;
[म.स.७.१४] ।
प्रचेतस् V. n. पारावत देवों में से एक ।
प्रचेतस् VI. n. प्रसूत देवों में से एक ।
प्रचेतस् VII. n. (सो. द्रुह्यु.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार ‘दुर्मन’ राजा का, विष्णु के अनुसार ‘दुर्गम’ का, एवं मत्स्य के अनुसार, ‘दुर्दम’ का पुत्र था । इसे ‘सुचेतस्’ नामांतर भी प्राप्त है । इसके प्राचेतस नामक सौ पुत्र थे, जो उत्तर दिशा में जा कर म्लेंच्छ लोगों के राजा बन गये । इस प्रकार इसका ‘द्रुह्यु’ वंश विनष्ट हो गया ।
प्रचेतस् VIII. n. भार्गवकुल का एक मंत्रकार ।