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प्राचीनबर्हि

   
Script: Devanagari

प्राचीनबर्हि

प्राचीनबर्हि (प्रजापति) n.  (स्वा.उत्तान.) एक प्रजापति, जो मनुवंशीय हविर्धान नामक राजा को हविर्धानी नामक पत्नी से उत्पन्न ज्येष्ठ पुत्र था [म.अनु.१४७.२४-२५] । इसका वास्तविक नामबर्हिषदथा । कहते हैं, इसने इतने यज्ञ कि, यज्ञ करते समय पूर दिशा की ओर रक्खे गये ‘पूर्वाग्र दर्भौ’ से पृथ्वी आच्छादित हो उठी । इसीलिये इसे प्राचीनबर्हि (प्राचीन=पूर्व; बर्हि-दर्भ) नाम प्राप्त हुआ । समुद्रकन्या शतद्रुति अथवा सवर्णा इसकी पत्नी थी, जिससे इसे प्रचेतस् नामक दस पुत्र उत्पन्न हुए [भा.४.२४.८.१३] ;[ह.वं.१.२.३१] ;[विष्णु. १.१४.३-६] ;[म.अनु.१४७.२४-२५]कर्मकाण्ड और योगाभ्यास में यह अत्यंत कुशल था । इसके निम्नलिखित पॉंच भाई थे, जिनकी सहायता से इसने विभिन्न स्थानों पर अनेक यज्ञ किये-गय, शुल्क, कृष्ण, सत्य और जितव्रतइसे योग्य राजर्षि देख कर, नारद ने पुरंजन राजा का आख्यान बता कर ब्रह्मज्ञान दिया [भा.४.२५-२९]ब्रह्मा ने नारायण से श्रवण किया हुआ ‘सात्त्वतधर्म’ इसे सिखाया, यही नहीं, ब्रह्मा ने ‘ऋष्यादि क्रम’ का ज्ञान भी इसे दियामहाभारत में इसे अत्रिकुलोत्पन्न एक नृप, एवं प्रजापति कहा गया है [म.शां.२०१.६]वृद्धावस्था में यह अपने पुत्रों पर प्रजारक्षण का भार सौंप कर, तपस्या के हेतु कपिलाश्रम चला गया [भा.४.२९.८१]आकाश में स्थित, सप्तर्षियों में, पूर्वदिशा की ओर बर्हिषद नाम से यह निवास करता है ।
प्राचीनबर्हि (प्रजापति) II. n.  स्वायंभुव मन्वन्तर का एक राजादक्ष प्रजापति के यज्ञ में सती ने देहत्याग किया था, उस समय यह भरतखण्ड का राजा था

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