मणिमत् n. एक यक्ष, जो मणिभद्र एवं पुण्यजनी के पुत्रों में से एक ।
मणिमत् II. n. वरुणसभा का एक नाग
[म.स.९.९] ।
मणिमत् III. n. एक यक्ष, जो कुबेर का सेनापति एवं सखा था । एकबार यह विमान मे बैठकर आकाशमार्ग से जा रहा था । उस समय यमुना नदी के तटपर तपस्या करनेवाले अगस्त्य ऋषि का इसने अपमान किया, जिस कारण उसने इसे शाप दिया, ‘शीघ्र ही मनुष्य के द्वारा तुम्हारा वध होगा’। पाण्डवों के वनवासकाल में वे घूमते-घूमते हिमवान् पर्वत पर स्थित कुबेरवन में आये । उस समय कुबेरवन के कुछ कमल लाने के लिए भीम ने उस वन में प्रवेश किया, कि मणिमत् के साथ उसका युद्ध हुआ । उसी युद्ध में भीम ने इसका वध किया
[म.व.१५७.४९-५७] ।
मणिमत् IV. n. एक राजा, जो दनायुपुत्र वृत्रासुर नामक अस्रु के अंश से उत्पन्न हुआ था
[म.आ.६१.४२] । यह द्रौपदी के स्वयंवर में उपस्थित था
[म.आ.१७७.७] । भीमसेन ने अपने पूर्वदिग्विजय में इसे जीता था
[म.स.२७.१०] । भारतीय युद्ध में भूरिश्रवस् (सौमदत्ति यूपकेतु) राजा ने इसका वध्य किया
[म.द्रो.२४.५१] ।