हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|दादू दयाल|भजन संग्रह १|
मन मुरिखा तैं यौंहीं जनम ...

भजन - मन मुरिखा तैं यौंहीं जनम ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


मन मुरिखा तैं यौंहीं जनम गँवायौ ।

साँईकेरी सेवा न कीन्हीं, इही कलि काहेकूँ आऔ ॥टेक॥

जिन बातन तेरौ छूटिक नाहीं, सोई मन तेरौ भायौ ।

कामी ह्वै बिषयासँग लाग्यो रोम रोम लपटायौ ॥१॥

कुछ इक चेति बिचारी देखौ, कहा पाप जिय लायौ ।

दादुदास भजन करि लीजै, सुपिने जग डहकायौ ॥२॥


References : N/A
Last Updated : September 28, 2008

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP