मेरा मेरा छोड़ गँवारा, सिरपर तेरे सिरजनहारा ।
अपने जीव बिचारत नाहीं, क्या ले गइला बंस तुम्हारा ॥टेक॥
तब मेरा कत करता नाहीं, आवत है हंकारा ।
काल-चक्रसूँ खरी परी रे, बिसर गया घर-बारा ॥१॥
जाइ तहाँका संयम कीजै, बिकट पंथ गिरधारा ।
दादू रे तन अपना नाहीं, तौ कैसे भयो सँसारा ॥२॥