हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|दादू दयाल|भजन संग्रह १|
अहो नर नीका है हरिनाम । ...

भजन - अहो नर नीका है हरिनाम । ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


अहो नर नीका है हरिनाम ।

दूजा नहीं नाँउ बिन नीका, कहिले केवल राम ॥टेक॥

निरमल सदा एक अबिनासी, अजर अकल रस ऐसा ।

दृढ़ गहि राखि मूल मन माहीं, निरख देखि निज कैसा ॥१॥

यह रस मीठा महा अमीरस, अमर अनूपम पीवै ।

राता रहै प्रेमसूँ माता, ऐसैं जुगि जुगि जीवै ॥२॥

दूजा नहीं और को ऐसा, गुर अंजन करि बूझै ।

दादू मोटे भाग हमारे, दास बमेकी बूझै ॥३॥

N/A

References : N/A
Last Updated : September 28, 2008

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP