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बटाऊ रे चलना आज कि काल । ...

भजन - बटाऊ रे चलना आज कि काल । ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


बटाऊ रे चलना आज कि काल ।

समझ न देखै कहा सुख सोवै,

रे मन राम सँभाल ॥टेक॥

जैसैं तरवर बिरख बसेरा,

पंखी बैठे आइ ।

ऐसैं यह सब हाट पसारा,

आप आप कूँ जाइ ॥१॥

कोइ नहिं तेरा सजन सँगाती,

जिनि खोवै मन मूल ।

यह संसार देखि मत भूलै,

सबही सेंबल फूल ॥२॥

तन नहिं तेरा, धन नहिं तेरा,

कहा रह्यो इहि लागि ।

दादू हरि बिन क्यूँ सुख सोवै,

काहे न देखैं जागि ॥३॥

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Last Updated : September 28, 2008

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