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जागि रे सब रैण बिहाणी । ...

भजन - जागि रे सब रैण बिहाणी । ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


जागि रे सब रैण बिहाणी ।

जाइ जनम अँजुलीको पाणी ॥टेक॥

घड़ी घड़ी घड़ियाल बजावै ।

जे दिन जाइ सो बहुरि न आवै ॥१॥

सूरज-चंद कहैं समुझाइ ।

दिन-दिन आब घटती जाइ ॥२॥

सरवर-पाणी तरवर-छाया ।

निसदिन काल गरासै काया ॥३॥

हंस बटाऊ प्राण पयाना ।

दादू आतम राम न जाना ॥४॥

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Last Updated : September 28, 2008

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