हिंदू तुरक न जाणों दोइ ।
साँईं सबका सोई है रे, और न दूजा देखौं कोइ ॥टेक॥
कीट-पतंग सबै जोनिनमें, जल-थल संगि समाना सोइ ।
पीर पैगम्बर देव-दानव, मीर-मलिक मुनि-जनकौं मोहि ॥१॥
करता है रे सोई चीन्हौं, जिन वै रोध करै रे कोइ ।
जैसैं आरसी मंजन कीजै, राम-रहीम देही तन धोइ ॥२॥
साँईंकेरी सेवा कीजै पायौ धन काहेकौं खोइ ।
दादू रे जन हरि भज लीजै, जनम-जनम जे सुरजन होइ ॥३॥