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इत है नीर नहावन जोग । अनत...

भजन - इत है नीर नहावन जोग । अनत...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


इत है नीर नहावन जोग । अनतहि भरम भूला रे लोग ॥टेक॥

तिहि तटि न्हाये निर्मल होइ । बस्तु अगोचर लखै रे सोइ ॥१॥

सुघट घाट अरु तिरिबौ तीर । बैठे तहाँ जगत-गुर पीर ॥२॥

दादू न जाणै तिनका भेव । आप लखावै अंतर देव ॥३॥

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Last Updated : September 28, 2008

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