बाबा नाहीं दूजा कोई ।
एक अनेकन नाँव तुम्हारे, मो पैं और न होई ॥टेक॥
अलख इलाही एक तूँ तूँ हीं राम रहीम ।
तूँ हीं मालिक मोहना, कैसो नाँउ करीम ॥१॥
साँई सिरजनहार तूँ, तूँ पावन तूँ पाक ।
तूँ काइम करतार तूँ, तूँ हरि हाजिर आप ॥२॥
रमिता राजिक एक तूँ, तूँ सारँग सुबहान ।
कादिर करता एक तूँ, तूँ साहिब सुलतान ॥३॥
अविगत अल्लह एक तूँ, गनी गुसाईं एक ।
अजब अनूपम आप है, दादू नाँव अनेक ॥४॥