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बाबा नाहीं दूजा कोई । एक...

भजन - बाबा नाहीं दूजा कोई । एक...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


बाबा नाहीं दूजा कोई ।

एक अनेकन नाँव तुम्हारे, मो पैं और न होई ॥टेक॥

अलख इलाही एक तूँ तूँ हीं राम रहीम ।

तूँ हीं मालिक मोहना, कैसो नाँउ करीम ॥१॥

साँई सिरजनहार तूँ, तूँ पावन तूँ पाक ।

तूँ काइम करतार तूँ, तूँ हरि हाजिर आप ॥२॥

रमिता राजिक एक तूँ, तूँ सारँग सुबहान ।

कादिर करता एक तूँ, तूँ साहिब सुलतान ॥३॥

अविगत अल्लह एक तूँ, गनी गुसाईं एक ।

अजब अनूपम आप है, दादू नाँव अनेक ॥४॥

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Last Updated : September 28, 2008

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