हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|दादू दयाल|भजन संग्रह १| पंडित राम मिलै सो कीजै । ... भजन संग्रह १ मेरे मन भैया राम कहौ रे ॥... बिरहणिकौं सिंगार न भावै ।... तौलगि जिनि मारै तूँ मोहिं... संग न छाँडौं मेरा पावन पी... ऐसा राम हमारे आवै । बार ... राम रस मीठा रे , कोइ पीवै... सोई सुहागनि साँच सिगार । ... तब हम एक भये रे भाई । मोह... इत है नीर नहावन जोग । अनत... मेरा मेरा छोड़ गँवारा , सि... जगसूँ कहा हमारा । जब देख्... आव पियारे मीत हमारे । निस... अरे मेरा अमर उपावणहार रे ... हिंदू तुरक न जाणों दोइ । ... बटाऊ रे चलना आज कि काल । ... कोइ जान रे मरम माधइया केर... क्यों बिसरै मेरा पीव पिया... कबहूँ ऐसा बिरह उपावै रे ।... जागि रे सब रैण बिहाणी । ... अहो नर नीका है हरिनाम । ... पंडित राम मिलै सो कीजै । ... तूँ हीं मेरे रसना तूँ हीं... बाबा नाहीं दूजा कोई । एक... मन मुरिखा तैं यौंहीं जनम ... नूर रह्या भरपूर , अमीरस प... तू साँचा साहिब मेरा । कर... सोई साध -सिरोमनि , गोबिंद... भजन - पंडित राम मिलै सो कीजै । ... हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है। Tags : bhajandadu dayalदादू दयालभजन रामकली Translation - भाषांतर पंडित राम मिलै सो कीजै । पढ़ि-पढ़ि बेद पुराण बखाने, सोई तत कहि दीजै ॥टेक॥ आतम रोगी बिषय बियाधी, सोइ करि औषध सारा । परसत प्राणी होइ परम सुख, छूटै सब संसारा ॥१॥ ये गुण इंद्री अगिनि अपारा, तासन जले सरीरा । तन मन सीतल होइ सदा बतावौ, जिहि पँथ पहुँचै पारा । भूल न परै उलट नहिं आवै, सो कुछ करहु बिचारा ॥३॥ गुर उपदेस देहु कर दीपक, तिमर मिटै सब सुझै । दादू सोई पंडित ग्याता, राम-मिलनकी बूझै ॥४॥ N/A References : N/A Last Updated : September 28, 2008 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP