मेरे मन भैया राम कहौ रे ॥टेक॥
रामनाम मोहि सहजि सुनावै ।
उनहिं चरन मन कीन रहौ रे ॥१॥
रामनाम ले संत सुहावै ।
कोई कहै सब सीस सहौ रे ॥२॥
वाहीसों मन जोरे राखौ ।
नीकै रासि लिये निबहौ रे ॥३॥
कहत सुनत तेरौ कछू न जावे ।
पाप निछेदन सोई लहौ रे ॥४॥
दादू जन हरि-गुण गाओ ।
कालहि जालहि फेरि दहौ रे ॥५॥