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सुकृष

   { sukṛṣa }
Script: Devanagari

सुकृष

Puranic Encyclopaedia  | English  English |   | 
SUKṚṢA   A liberal hermit. A story about this hermit occurs in [Mārkaṇḍeya Purāṇa] . once indra wanted to test Sukṛṣa. So he came in the guise of a bird and requested for human flesh. then the hermit called his sons and asked them to give their flesh to the bird. they were not prepared to do so. Sukṛṣa got angry and cursed his sons that they would be born as birds. accordingly the sons of the hermit took birth in the Garuḍa family under the names Droṇaputra, Piṅgākṣa, Vibodha, Suputra and Sumukha. As a remission of the curse, the hermit said that even as birds they would be having wisdom and knowledge. after this, to keep his word, Sukṛṣa got ready to cut his own flesh for the bird. then indra appeared in his own form and blessed the hermit.

सुकृष

सुकृष n.  एक ऋषि, जो विपुलस्वत ऋषि का पुत्र थाइसकी जीवनकथा शिवि औशीनर राजा से काफ़ी मिलती जुलती है । इसके कुल चार पुत्र थे । एक बार इसकी सत्त्वपरीक्षा लेने के लिए इंद्र पक्षीरूप से इसके पास आया, एवं नरमांस का भोजन माँगने लगा । इसने उसकी इच्छा पूर्ण करने का आश्वासन दिया, एवं अपने पुत्रों को माँस निकाल देने की आज्ञा दी। इसकी यह प्रार्थना इसके पुत्रों ने अस्वीकार कर दी। इस पर क्रुद्ध हो कर इसने उन्हें ‘तीर्यग्’ (पक्षी) योनि में जन्म प्राप्त होने का शाप दियातदनुसार इसके पुत्र गरुडवंश में द्रोणपुत्र, पिंगाक्ष, विबोध, सुपुत्र एवं सुमुख नामक पक्षी बन गये [मार्क. ३.] इसके पुत्रों के द्वारा निदान माँगे जाने पर, इसने उन्हें पक्षीयोनि में रह कर भी ज्ञानी बनने का उःशाप दियाइंद्र को दिये गये अभिवचन की पूर्ति के लिए यह अपना स्वयं का माँस निकालने लगा। इस पर इंद्र अपने सही रूप में प्रकट हुआ, एवं उसने इसे महाज्ञानी बनने का, एवं तपस्या में कही भी विघ्नउत्पन्न होने का आशीर्वाद प्रदान किया ।

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