हिंदी सूची|भारतीय शास्त्रे|तंत्र शास्त्र|कालीतंत्र| काली अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम् कालीतंत्र महाकाली काली पूजा बलिदान काली मंत्र एवं ध्यान गुप्त काली मंत्र साधना विधि अर्घ्य स्थापन पूजन यंत्र भैरव पूजन कालविनाशिनी काली काली के रूप भद्रकाली के फलदायी मंत्र महाकाली के ऐश्वर्यदायी मंत्र आवरण पूजा भैरव-पूजन भैरवी-पूजन श्मशानकाली साधना अन्य मंत्र दक्षिणकालिका कवचम् काली कीलकम् श्री जगन्मंगल कवचम् कालीक्रम स्तवम् अथ अर्गलम् काली स्तवः महाकौतूहल दक्षिणकाली ह्रदय स्तोत्रम् कालीकर्पूर स्तोत्रम् कालिका हृदय स्तोत्रम् कालिका सहस्त्रनाम स्तोत्रम् काली सहस्त्राक्षरी काली बीज सहस्त्राक्षरी काली अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम् काली के १०८ नाम काली शतनाम स्तोत्रम् काली क्षमापराध स्तोत्रम् ककारादि काली शतनाम स्तोत्रम् गुरु-पूजा विधि महाकाली मंत्र वर्णन मनोपूरक रहस्य पुरश्चरण विधि आदि-अंत का रहस्य मातृका ध्यान विधि कालीतंत्र - काली अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम् तंत्रशास्त्रातील अतिउच्च तंत्र म्हणून काली तंत्राला अतिशय महत्व आहे. Tags : kalishastratantraकालीतंत्रशास्त्रहिन्दी काली अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम् Translation - भाषांतर काली अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम् जो मनुष्य इस काली अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र का प्रातः मध्याह्न, सायं तथा रात्रि में सदैव पाठ करता है, उसके घर में काली का वास होता है । इस स्तोत्र के पाठकर्ता को जल, अग्नि, श्मशान, युद्धस्थल में किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता । यदि काली की प्रतिमा स्थापित कर विधिवत इसका पाठ किया जाए तो साधक को काली की कृपा से सिद्धियां प्राप्त होती हैं ।भैरवोवाचशतनाम प्रवक्ष्यामि कालिकाय वरानने ।यस्य प्रपठनाद्वाग्मी सर्वत्र विजयी भवेत् ॥अथ स्तोत्रम् काली कपालिनी कान्ता कामदा कामसुन्दरी ।कालारात्रिः कालिका च कालभैरव पूजिता ॥क्रुरुकुल्ला कामिनी च कमनीय स्वभाविनी ।कुलीना कुलकत्रीं च कुलवर्त्म प्रकाशिनी ॥कस्तूरिरसनीला च काम्या कामस्वरूपिणी ।ककारवर्णनिलया कामधेनुः करालिका ॥कुलकान्ता करालस्या कामार्त्ता च कलावती ।कृशोदरी च कामाख्या कौमारी कुलपालिनी ॥कुलजा कुलमन्या च कलहा कुलपूजिता ।कामेश्वरी कामकान्ता कुञ्जरेश्वरगामिनी ॥कामदात्री कामहर्त्री कृष्णा चैव कपर्दिनी ।कुमुदा कृष्णदेहा च कालिन्दी कुलपूजिता ॥काश्यापी कृष्णमाता च कुलिशाङ्गी कला तथा ।क्रीं रूपा कुलगम्या च कमला कृष्णपूजिता ॥कृशाङ्गी किन्नरी कत्रीं कलकण्ठी च कार्तिकी ।कम्बुकण्ठी कौलिनी च कुमुदा कामजीविनी ॥कलस्त्री कीर्तिका कृत्या कीर्तिश्च कुलपालिका ।कामदेवकला कल्पलता कामाङ्गवर्द्धिनी ॥कुन्ता च कुमुदप्रीता कदम्बकुसुमोत्सुका ।कादम्बिनी कमलिनी कृष्णानन्दप्रदायिनी ॥कुमारीपूजनरता कुमारीगणशोभिता ।कुमारीरञ्जनरता कुमारीव्रतधारिणी ॥कङ्काली कमनीया च कामशास्त्रविशारदा ।कपालखट्वाङ्गधरा कालभैरवरूपिणी ॥कोटरी कोटराक्षी च काशीकैलासवासिनी ।कात्यायनी कार्यकरी काव्यशास्त्र प्रमोदिनी ॥कामाकर्षणरूपा च कामपीठनिवासिनी ।कङिकनी काकिनी क्रीडा कुत्सिता कलहप्रिया ॥कुण्डगोलोद्भवप्राणा कौशिकी कीर्तिवर्द्धिनी,कुम्भस्तनी कलाक्षा च काव्या कोकनदप्रिया ।कान्तारवासि कान्तिश्च कठिना कृष्णवल्लभा ॥फलश्रुति इति ते कथितम् देवि गुह्याद् गुह्यतरम् परम् ।प्रपठेद्य इदम् नित्यम् कालीनाम शताष्टकम् ॥त्रिषु लोकेषु देवेशि तस्यासाध्यम् न विद्यते ।प्रातः काले च मध्याह्ने सायाह्ने च सदा निशि ॥यः पठेत्परया भक्त्या कालीनाम शताष्टकम् ।कालिका तस्य गेहे च संस्थानम् कुरुते सदा ॥शून्यागारे श्मशाने वा प्रान्तरे जलमध्यतः ।वह्निमध्ये च संग्रामे तथा प्राणस्य संशये ॥शताष्टकम् जपेन्मंत्री लभते क्षेममुत्तमम्,कालीं संस्थाप्य विधिवत्श्रुत्वा नामशताष्टकैः ।साधकः सिद्धिमाप्नोति कालिकायाः प्रसादतः ॥ N/A References : N/A Last Updated : December 28, 2013 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP