कालीतंत्र - भद्रकाली के फलदायी मंत्र
तंत्रशास्त्रातील अतिउच्च तंत्र म्हणून काली तंत्राला अतिशय महत्व आहे.
षोडशाक्षर मंत्र
१
ॐ हौं काली महाकाली किलिकिलि फट् स्वाहा ।
२
ॐ भद्रकाली महाकाली किलि फट् स्वाहा ।
उक्त मंत्र साधक के सभी मनोभावों को पूर्ण करनेवाले हैं ।
उक्त सोलह अक्षर वाले मंत्रों के न्यास तथा अन्य विधान, पुरश्चरण आदि बाईस अक्षरी दक्षिण काली मंत्र भांति ही हैं ।
साधक ध्यान निम्नवत करे ।
ध्यान
क्षुत्क्षामा कोटराक्षी मसिमलिन मुखीमुक्तकेशी रुदन्ती
नाहं तृप्ता वदन्ती जगदखिलमिदं ग्रासमेकं करोमि ।
हस्ताभ्यां धारयन्ती ज्वलदनल शिखापन्निभं पाशयुग्मं
दन्तैजम्बूफलाभै: परिहरतु भयं पातु मांड भद्रकाली ॥
ध्यानोपरांत १०८ माला मंत्र जप करते हुए भद्रकाली का ध्यान करे ।
उक्त मंत्र का प्रयोग शत्रुओं को वश में करने के लिए किया जाता है । भद्रकाली धर्म, कर्म तथा अर्थ की सिद्धि देनेवाली है । जो साधक जिस कामना से भद्रकाली की उपासना करता है, वह पूर्ण होती है । पुरश्चरण के लिए ११०८ जप ही पर्याप्त है ।
जो साधक भद्रकाली की पूजा कर प्रतिदिन १०८ बार इस मंत्र का जप करता है, उसकी सभी मनोभिलाषाएं पूरी होती हैं ।
विंशाक्षर मंत्र
क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्नीं ह्नीं भद्रकाल्यै क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्नीं ह्नीं स्वाहा ।
उक्त मंत्र साधक को धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति कराता है ।
साधना विधि
उक्त वर्णित मंत्रों की साधना में पूर्वोक्त दक्षिण काली की पूजा-पद्धति के अनुसार ही न्यास, पूजा आदि वांछित है । साधक मात्र बलि-उत्सर्ग करते समय निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करे:
ऐं ह्नीं ऐह्येहि जगन्मातर्जगतां जननि गृह्ण बलिं सिद्धिं देहि देहि शत्रु क्षयं कुरु कुरु हूं हूं ह्नीं ह्नीं फट् ॐ कालिकायै नमः फट् स्वाहा ।
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Last Updated : December 28, 2013
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