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श्मशानकाली साधना

कालीतंत्र - श्मशानकाली साधना

तंत्रशास्त्रातील अतिउच्च तंत्र म्हणून काली तंत्राला अतिशय महत्व आहे.


श्मशानकाली साधना

मंत्रः ऐं ह्नीं श्रीं क्लीं कालिके क्लीं श्रीं ह्नीं ऐं ।
श्मशानकाली पूजन यंत्र का स्वरूप इस प्रकार हैः

विनियोग

अस्य श्मशानकाली मंत्रस्य भृगुऋषिः त्रिवृच्छन्द:, श्मशानकाली देवता, ऐं बीजं, ह्नीं शक्तिः, क्लीं कीलकम्, मम सर्वेष्ट सिद्धये जपे विनियोग ।

ऋष्यादिन्यास

ॐ भृगुऋषये नमः (शिरसि) ।
त्रिवृच्छन्दसे नमः (मुखे) ।
श्मशान कालिका देवतायै नमः (हृदि) ।
वाग्बीजाय नमः (गुह्ये) ।
ह्नीं शक्तये नमः (पादयो:) ।
क्लीम कीलकाय नमः (नाभौ) ।
विनियोगाय नमः (सर्वाङ्गे) ।

करन्यास

ऐं अंगुष्ठाभ्यां नमः ।
ह्नीं तर्जनीभ्यां स्वाहा ।
श्रीं मध्यमाभ्यां वषट् ।
क्लीं अनामिकाभ्यां हुम् ।
कालिके कनिष्ठिकाभ्यां वषट् ।
ऐं ह्नीं श्रीं क्लीं कालिके ऐं ह्नीं श्रीं करतलकरपृष्ठाभ्यां फट् ।

हृदयादिषडङ्गन्यास

ऐं ह्रदयाय नमः ।
ह्नीं शिरसे स्वाहा ।
श्रीं शिखायै वषट् ।
क्लीं कवचाय हुम् ।
कालिके नेत्रत्रयाय वौषट् ।
ऐं श्रीं क्लीं कालिके ऐं ह्नीं श्रीं क्लीं अस्त्राय फट् ।

ध्यान

अञ्जनाद्रिनिभां देवीं श्मशानालय वासिनीं ।
रक्तनेत्रां मुक्तकेशीं शुष्कमांसातिभैरवां ॥
पिङ्गाक्षीं वामहस्तेन मद्यपूर्णां समांसकाम् ।
सद्यः कृत्तं शिरोदक्षहस्तेन दधतीं शिवाम् ॥
स्मितवक्त्रां सदा चाम मांसचर्वणतत्पराम् ।
नानालङ्कार भूषाङ्गी नग्नां मत्तां सदा शवैः ॥

आवरण-पूजा

साधक अष्ट दलों में पूर्वादि क्रम से निम्नलिखित मंत्रों का उच्चारण करते हुए पुष्पांजलि प्रदान करे:

ॐ ब्राह्मयै नमः ।
ॐ माहेश्वर्यैं नमः ।
ॐ कौमार्यैं नमः ।
ॐ वैष्णव्यै नमः ।
ॐ वाराह्यै नमः ।
ॐ इन्द्राण्यै नमः ।
ॐ चामुण्डायै नमः ।
ॐ महालक्ष्म्यै नमः ।

ततश्च अष्टदल के बाहर पूर्वादि क्रम से निम्नलिखित मंत्रों का उच्चारण करते हुए पुष्पांजलि दे:

ॐ असिताङ्ग भैरवाय नमः ।
ॐ रुरु भैरवाय नमः ।
ॐ चण्ड भैरवाय नमः ।
ॐ क्रोध भैरवाय नमः ।
ॐ उन्मत्त भैरवाय नमः ।
ॐ कापालि भैरवाय नमः ।
ॐ भीषण भैरवाय नमः ।
ॐ संहार भैरवाय नमः ।

साधक तदोपरांत भूपुर में इन्द्र आदि दश दिक्पालों की तथा उनके आयुधों की पूजा कर पुष्पांजलि दे ।

उक्त विधि से आवरण-पूजा कर, धूपदान से नमस्कार पर्यन्त पूजा करके मंत्र जप विशेष रूप से श्मशान में करें । गृहस्थ व्यक्ति यदि चाहे तो घर में बी मछलीमांस का उत्तम भोजन करने के बाद रात्रि के समय नग्न हो, शान्तचित्त से मंत्र में जितने वर्ण हैं, उतने लाख जप करे तथा जप संख्या का दशांश होम करे । ऐसा करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है । व्यवधान न पडे, इस बात का ध्यान रखना है ।

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Last Updated : December 28, 2013

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