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संत तुकाराम गाथा - संदर्भ
tukaram, gatha, abhang, sant, तुकाराम, गाथा, संत, अभंग,
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non marathi speaking area
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marathi
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Tags: মাৰাঠী, মাৰাঠী ভাষা, माराठी, माराठी राव, મરાઠી, મરાઠી ભાષા, मराठी, मराठी भाषा, مرٲٹھی, مرٲٹھۍ, मराठी, मराठी भास, മറാഠി., ମରାଠୀ, ମରାଠୀ ଭାଷା, ਮਰਾਠੀ, ਮਰਾਠੀ-ਭਾਸ਼ਾ, मराठी, మరాఠి, మరాఠి బాష, مراٹھی, مراٹھی زبان
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एडका
एडका अभंग Abhang
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गौळण
गौळण अभंग Abhang
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दळण
दळण अभंग Abhang
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अभंग संग्रह आणि पदे
अभंग संग्रह Abhang is form of devotional poetry sung in praise of the Hindu god Krishna , also known as Vithala and Vithoba . Abhangs were first sung by Tukaram in his native language, Marathi . Tukaram was a seventeenth century poet, who lived in a town named Dehu , which is located near modern day Pune . He was a popular poet and was a leading figure in the Bhakti Movement of the time, that sought to put the emphasis back on devotion and love towards god, in contrast to blind obedience of rituals and arcane religious practices.
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संत जनाबाईचे अप्रकाशित अभंग संहिता
संत जनाबाईचे अप्रकाशित अभंग संहिता
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पिंगा
संत बहेणाबाईचे अभंग
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भक्तिपर अभंग - ७१ ते ८०
संत बहेणाबाईचे अभंग
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वासुदेव - ५९६ ते ६०७
संत बहेणाबाईचे अभंग
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अनुतापपर अभंग - १३१ ते १४२
संत बहेणाबाईचे अभंग
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संत श्रीरोहिदासांची पदे - ६ ते २१
संत रोहिदास (इ.स. १३७६ - इ.स. १५२७) हे मध्ययुगीन भारतातील हिंदू संत होते. यांच्या गुरूंचे नाव रामानंद स्वामी होते. कबीर यांचे समकालीन होत; तर मीराबाई यांच्या शिष्या होत्या.
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भक्तिपर अभंग - १११ ते १२०
संत बहेणाबाईचे अभंग
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मनःपर अभंग - ४१ ते ५०
संत बहेणाबाईचे अभंग
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ज्ञानपर अभंग - २९१ ते ३०१
संत बहेणाबाईचे अभंग
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पाळणा - पंचतत्त्वांचा
संत बहेणाबाईचे अभंग
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निर्याणाचे अभंग - १४७ ते १६०
संत बहेणाबाईचे अभंग
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संतवर्णनपर
संत बहेणाबाईचे अभंग
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भक्तिपर अभंग - १०१ ते ११०
संत बहेणाबाईचे अभंग
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संत बहेणाबाईचे अभंग - १ ते १०
संत बहेणाबाईचे अभंग
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निर्याणाचे अभंग - १६१ ते १७०
संत बहेणाबाईचे अभंग
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श्लोक - ३२८ ते ३४४
संत बहेणाबाईचे अभंग
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करूणापर अभंग - ४९१ ते ५००
संत बहेणाबाईचे अभंग
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संत श्रीरोहिदासांची पदे - २२ ते २६
संत रोहिदास (इ.स. १३७६ - इ.स. १५२७) हे मध्ययुगीन भारतातील हिंदू संत होते. यांच्या गुरूंचे नाव रामानंद स्वामी होते. कबीर यांचे समकालीन होत; तर मीराबाई यांच्या शिष्या होत्या.
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अनुतापपर अभंग - ४२८ ते ४२९
संत बहेणाबाईचे अभंग
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पाळणा ( जोगी )
संत बहेणाबाईचे अभंग
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करूणापर अभंग - ५३१ ते ५४४
संत बहेणाबाईचे अभंग
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ज्ञानपर अभंग - ४५६ ते ४६९
संत बहेणाबाईचे अभंग
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भक्तिपर अभंग - ८१ ते ९०
संत बहेणाबाईचे अभंग
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अभंग - ४२७
संत बहेणाबाईचे अभंग
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अभंग - ४२१ ते ४२५
संत बहेणाबाईचे अभंग
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हिंदी पदे - ३६५ ते ३७९
संत बहेणाबाईचे अभंग
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संत श्रीसंताजीमहाराज जगनाडे अभंग
जो पर्यंत संतू तेली व संताजी जगनाडे हे भिन्न आहेत, हे निश्चित होत नाही, तोपर्यंत प्रस्तुत - अभंग संताजी जगनाडे यांचेच आहेत असे मानणे भाग ठरते.
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टोणप्याचे अभंग - ३११ रे ३१८
संत बहेणाबाईचे अभंग
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भक्तिपर अभंग - ५५ ते ६०
संत बहेणाबाईचे अभंग
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निर्याणाचे अभंग - १७१ ते १८०
संत बहेणाबाईचे अभंग
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ज्ञानपर अभंग - २२१ ते २३०
संत बहेणाबाईचे अभंग
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ज्ञानपर अभंग - २७१ ते २८०
संत बहेणाबाईचे अभंग
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ज्ञानपर अभंग - २०१ ते २१०
संत बहेणाबाईचे अभंग
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करूणापर अभंग - ४८१ ते ४९०
संत बहेणाबाईचे अभंग
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डफगाणे - ६०८ ते ६१५
संत बहेणाबाईचे अभंग
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संत श्रीरोहिदासांची पदे
संत रोहिदास (इ.स. १३७६ - इ.स. १५२७) हे मध्ययुगीन भारतातील हिंदू संत होते. यांच्या गुरूंचे नाव रामानंद स्वामी होते. कबीर यांचे समकालीन होत; तर मीराबाई यांच्या शिष्या होत्या.
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ओव्या - ५७१ ते ५७४
संत बहेणाबाईचे अभंग
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श्लोक - ३५३ ते ३६२
संत बहेणाबाईचे अभंग
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करूणापर अभंग - ५०१ ते ५१०
संत बहेणाबाईचे अभंग
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संत बहेणाबाईचे अभंग - २१ ते २९
संत बहेणाबाईचे अभंग
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ज्ञानपर अभंग - २११ ते २२०
संत बहेणाबाईचे अभंग
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ज्ञानपर अभंग - २८१ ते २९०
संत बहेणाबाईचे अभंग
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संत श्रीमुक्ताबाईचे अप्रसिद्ध अभंग
संत श्रीमुक्ताबाईचे अप्रसिद्ध अभंग
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