हिरण्याक्ष n. एक दैत्य, जो कश्यप एवं दिति का एक पुत्र, तथा हिरण्यकशिपु का भाई था । यह स्वायंभुव मन्वंतर में उत्पन्न हुआ था
[लिंग. १.९४] ।
हिरण्याक्ष n. यह अत्यधिक पराक्रमी था, एवं देवों को काफ़ी त्रस्त करता था । अन्त में इसके भय से सारे देवगण भाग गये। पश्चात् विष्णु ने इसके साथ, युद्ध प्रारंभ किया । इस युद्ध में प्रारंभ से ही विष्णु की विजय होने लगी। यह देख कर यह पृथ्वी ले कर भागने लगा। किन्तु विष्णु ने इसका पीछा किया एवं वराह रूप धारण कर इसका वध किया
[पद्म. सृ. ७५] । भागवत के अनुसार यह पृथ्वी ले कर समुद्र में भाग गया । वराहरूपी विष्णु ने पानी से पृथ्वी बाहर निकाली । इस समय वराह के पाँव के नीचे दब कर यह मारा गया
[भा. ३.२८] । इसके वध के पश्चात् इसके भाई हिरण्यकशिपु ने इसके वध का बदला लेना चाहा । किन्तु अन्त में वह भी नृसिंह अवतवार के द्वारा मारा गया (हिरण्यकशिपु देखिये) ।
हिरण्याक्ष n. इसकी पत्नी का नाम रुपाभानु था, जिससे इसे निम्नलिखित पुत्र उत्पन्न हुए थेः-- १. उत्कुर (शंबर) २. शकुनि; ३. कालनाभ; ४. महानाभ; ५. विक्रान्त (सुविक्रान्त); ६. भूतसंतापन (मृतसंतापन)
[वायु. ६७.६७-६८] ;
[ब्रह्मांड. ३.५. ३०-३२] । विष्णु एवं भागवत में इसके पुत्रों की नामावलि में झर्जर, धृत, वृक एवं हरिशमश्रु ये पुत्र अधिक दिये गये हैं
[विष्णु. १. २०.३] ;
[भा. ७.२.१५] । इसके ये सारे पुत्रपौत्रादि परिवार के साथ तारकासुरयुद्ध में विनष्ट हुए।
हिरण्याक्ष II. n. एक यक्ष, जो मणिभद्र एवं पुण्यजनी के पुत्रों में से एक था ।
हिरण्याक्ष III. n. एक असुर, जो वैश्वानरकन्या का पति था
[भा. ६.६.३४] । मत्स्य में इसे मयासुरकन्या उपदानवी का पति कहा गया है ।
हिरण्याक्ष IV. n. विश्वामित्र का एक पुत्र ।
हिरण्याक्ष V. n. वसुदेव के श्याम नामक एक भाई का पुत्र । इसकी माता का नाम शरभू अथवा शूरभूमि था
[भा. ९.२४.४२] ।