धुंधु n. एक राक्षस । यह मधुकैटभों का पुत्र, एवं ‘उदकाराक्षस’ था
[म.व.१९५.१] । देवताओं एवं हिरण्याक्ष राक्षस के युद्ध में, यह हिरण्याक्ष के पक्ष में शामिल था
[पद्म सु.६५] । उज्जालक नामक वालुकामय प्रदेश में खुद अपने को वालूका में दबा कर यह रहता था । इसकी तपस्या से संतुष्ट हो कर, ब्रह्मदेव ने इसे अवध्वत्व प्रदान किया । उस वरदान से उन्मत्त हो कर, यह सबको सताने लगा । सूर्यवंशीय कुवलाश्व राजा के पुत्रों को इसने दग्ध किया । फिर उत्तंक ऋषि की प्रेरणा से कुवलाश्व ने इसका वध किया
[वायु. ८८] ;
[विष्णुधर्म. १.१६] ;
[ब्रह्मांड. ३.६३.३१] ;
[ब्रह्म.७.५४.८६] ;
[विष्णु.४.२] ;
[ह. वं.१.११] ;
[भा.९.६] ; कुवलाश्व देखिये । इस अररु का पुत्र भी कहा गया है
[ब्रह्मांड.३.६.३१] ।
धुंधु II. n. एक राजा । इसने जीवन में कभी मांस नही खाया
[म.अनु.१७७.७३, कुं.] इस पुण्यसंचय के कारण यह स्वर्ग गया ।
धुंधु III. n. (सो. पुरुरवस्,) मत्स्यमत में पीतायुध का पुत्र तथा वायुमत में जयद का पुत्र ।