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कुवलाश्व

   
Script: Devanagari

कुवलाश्व     

कुवलाश्व n.  (सू. इ.) बृहदश्व राजा का पुत्र । वन में जीत समय, बृहदश्व ने इसे उत्तकाश्रम को पीडा देने वाले, धुंधु नामक दैत्य का पारिपत्य करने के लिये कहा । तब उत्तंक को साथ ले कर यह धुंधु के निवासस्थान पर गया । धुंधु दैत्य उज्जालक नामक वालुकामय समुद्र के तल में, अपने अनुयायियोंसहित सोया था । तब कुवलाश्व ने अपने दृढाश्वादि सौ पुत्रों को-भागवत में पुत्रसंख्या २१००० दी गई है [भा.९.६] - उस वालुकामय सागर की वालुका हटाने के लिये कहा । संपूर्ण वालुका हटाने के बाद धुंधु बाहर आया । उस समय, उसके मुख से अग्नि की ज्वालायें निकल रही थी । उन ज्वालाओं से कुवलाश्व के दृढाश्व, कपिलाश्व तथा भद्राश्व को छोडकर अन्य सब पुत्र जल गये । अतः कुवलाश्व स्वयं धुंधु से लडने के लिये गया । तब विष्णु ने उत्तंक ऋषि को दिये वर के कारण अपना तेज कुवलाश्व के शरीर में डाला । तात्काल कुवलाश्व ने धुंधु का पराभव किया, तथा धुंधुमार नाम प्राप्त किया । कुवलाश्व के बाद दृढाश्व गद्दी पर बैठा [म.व.१९३] ;[ह. वं. १.११] ;[वायु. ८८] ;[ब्रह्मांड. ३.६३.२९] ;[ब्रह्म ७] ;[भा.९.६] ;[विष्णुधर्म. १.१६] ; कुवलयाश्व देखिये । मार्कड मतानुसार कुवलाश्व शत्रुजित का पुत्र था (मदालसा देखिये) ।
कुवलाश्व II. n.  प्रतर्दन देखिये ।

कुवलाश्व     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
कुवलाश्व  m. m.N. of the prince धुन्धुमार, [MBh. iii, 13486] ; [Hariv. 671]
कुबल्°   (vv.ll., कुवलया-श्व and °श्वकq.v.)

कुवलाश्व     

Shabda-Sagara | Sanskrit  English
कुवलाश्व  m.  (-श्वः) A proper name of a king, also धुन्धुमार.

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