चित्ररथ n. एक राजा । यह तुर्वशों का शत्रु था । इन्द ने सुदास के लिये सरयू नदी के तट पर अर्ण तथा चित्ररथ का वध किया
[ऋ.४.३०.१८] । इसके लिये कापेय ने द्विरात्रयज्ञ किया । इस कारण इसके कुल को क्षत्रपतित्व प्राप्त हुआ, एवं अन्य लोग इसके आश्रित हुए। इससे इस कुल के श्रेष्ठत्व का पता चलता है
[पं. ब्रा. २०.१२.५] । इसके कुल में ज्येष्ठ राजपुत्र सिंहासन पर बैठता था,एवं उसके भाई उसके अनुचर होते थे (शौनक देखिये) ।
चित्ररथ II. n. (सो. पुरु.) कुरु का पुत्र
[म.आ.८९.४४] ।
चित्ररथ III. n. मुनि तथा कश्यप के देवगंधर्व पुत्रों में से एक (अंगारपर्ण देखिये) । युधिष्ठिर ने यज्ञ किया, तब इसने उसे सौ अश्व दिये
[म.स.४८.२२] । चतुर्विध आश्रमों से किसी एक आश्रम का मनुष्य, तथा चातुर्वर्ण्यो में से किसी एक वर्ण का मनिउष्य, जिन लक्षणों पर से पहचाना जा सकता है, वे लक्षण इसने युधिष्ठिर को बताये । उसी प्रकार उसे तापस्यसंवरणाख्यान बता कर, पांडव तापत्य किस प्रकार हैं, यह समझाया
[म.आ.१५९-१६०] ।
चित्ररथ IV. n. (स्वा. प्रिय.) गय को गयंती से उत्पन्न पुत्रों में से ज्येष्ठपुत्र । इसे ऊर्णो नामक स्त्री से सम्राट नामक पुत्र हुआ
[भा. ५.१५.१४] ।
चित्ररथ IX. n. (सो. क्रोष्टु.) भागवत मतानुसार रुशेकु तथा मत्स्य मतानुसार सौम्य का पुत्र (रुशेकु देखिये) ।
चित्ररथ V. n. वीरबाहु का पुत्र । कुश की कन्या हेमा के स्वयंवर के समय, इसने अन्य लोगों पर मोहनास्त्र डाल कर, हेमा का हरण किया । परंतु कन्या को चोरी से ले जाना ठीक नहीं, इसलिये इसने मोहनास्त्र वापस लिया । यह स्वयं नगर के बाहर खडा हुआ । तत्पश्चात् युद्ध हुआ, जिसमें इसने सब को पराजित किया । लव को यह पराजित न कर सका । तब पास ही खडे हो कर, युद्ध का अवलोकन करने वाला वीरबाहु को बॉंध लाया । राम ने उन्हें बताया कि, ये मेरा मित्र है, तथा उसे छुडाया । बाद में लव की मूर्च्छा उतरने पर, हेमा का चित्ररथ से विवाह करवाया । पश्चात् वीरबाहु को राम ने बडे सम्मान से बिदा किया
[आ.रा.राज्य. २.३] ।
चित्ररथ VI. n. (सू. निमि.) सुपार्श्व जनक का पुत्र । विष्णु मतानुसार इसे संजय कहा गया है । इसका क्षेमधी नामक पुत्र था ।
चित्ररथ VII. n. (सो. अनु.) राजा रोमपाद का नामांतर । दशरथ इसका मित्र था । यह निपुत्रिक था, इसलिये दशरथ ने अपनी पुत्री शांता इसे दत्तक दी । इसने शांता ऋश्यशृंग ऋषि को दी । बडी युक्ति से उसे अपनी नगरी में निमंत्रित कर, स्वयं पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया तथा दशरथ से भी करने को कहा । इसी कारण दोनों राजाओं को पुत्र हुए । इसे चतुरंग नाम एक पुत्र हुआ
[भा.९.२३.७-२०] ।
चित्ररथ VIII. n. दशरथ का सारथि ।
चित्ररथ X. n. ०. वृष्णिपुत्र (चित्र. ५. देखिये) ।
चित्ररथ XI. n. १. मार्तिकावतक देशीय राजा । यह जमदग्नि का समकालीन था । इसकी क्रीडा देखते रहते के कारण, रेणुका को नदी से घर वापस आने में देर हुई
[म.व.११६.६] ; जमदग्नि देखियेः ।
चित्ररथ XII. n. २. भारतीययुद्ध में पांडवों के पक्ष का एक शैब्य राज
[म.द्रो.२२.५१२] ।
चित्ररथ XIII. n. ३. (सो नील.) द्रुपदपुत्र । द्रोणाचार्य ने इसका वध किया । इसे वीरकेतु, चित्रवर्मा तथा सुधन्वा नामक तीन भाई थे
[म.द्रो ९८.३७] ।
चित्ररथ XIV. n. ४. अंग देश का राजा । इसकी स्त्री प्रभावती, ऋषि देवशर्मा की रुचि नामक स्त्री की बहन थी । प्रभावती के घर होनेवाले विवाह समारंभ में अप्सराओं द्वार नीचे डाले गये पुष्पों में से कुछ पुष्प, रुचि ने अपने बालों में लगाये । यह देख कर प्रभावती ने कहा, ‘मुझे भी ऐसे पुष्प दो’। तब रुचि ने यह बात अपने पति को बताई । उसके पति देवशर्मा ने अपने शिष्य विपुल द्वारा ऐसे पुष्प मँगवाये
[म.अनु. ७७. कुं.] चित्ररथ XV. n. ५ (सो. कुरु. भविष्य.) भविष्य मतानुसार निश्चक का पुत्र । मत्स्य मतानुसार भूरिपुत्र, भागवत मतानुसार उक्तपुत्र, वायु तथा विष्णु मतानुसार उष्णपुत्र । इसने एक हजार वर्ष राज्य किया ।