गोतम n. कश्यपकुलोत्पन्न एक ऋषि
[भवि. प्रति. ४.२१] ।
गोतम (राहूगण) n. एक ऋषि । ऋग्वेद में इसके बहुत सूक्त हैं
[ऋ. १.७४-९३,९.३१, ६७.७-९, १०. १३७.३] । इसका अनेक स्थानों पर उल्लेख है
[ऋ. १.६२.१३, ७८.२, २, ५] । अंगिरस् से इसका बार बार संबंध आता है
[ऋ.१.६२.१,७१.२] । इसका राहूगण यह पैतृक नाम ऋग्वेद एवं अन्यत्र भी मिलता है
[ऋ.१.७८.५] ;
[श. ब्रा.१.४.१.१०, ११.४.३.२०] । यह माथव विदेह का पुरोहित था
[श. ब्रा.१.४.१.१०] । वैदेह जनक तथा याज्ञवल्क्य का यह समकालीन था । एक स्तोम का यह कर्ता है
[श. ब्रा.१३.५.१.१] ;
[आश्व. श्रौ. ९.५.६] । अन्यत्र भी इसका उल्लेख है
[अ.वे.४. २९.६, १८.३.१६] ;
[बृ. उ.२.२.६] । इसे वामदेव तथा नोधस् नामक दो पुत्र थे
[आश्व. श्रौ. १२.१०] । इसका भद्र नामक एक साम है । इस साम के फलस्वरुप गौतम को श्रेष्ठपद प्राप्त हुआ । इसी कारण, इसके पहले के तथा बाद के लोग गोतम नाम से प्रसिद्ध हुएँ
[पं.ब्रा.१३.१२.६-८] । इसका गोतम नामक भी एक साम है
[पं. ब्रा.१२.३.१४] ।
गोतम II. n. व्यास देखिये ।