Site Search Input language: Select language देवनागरी Roman Kannada Bengali/Bangla Gurmukhi Gujarati Site Search Google Search Search results Results does not include Ancestry or QnA (Prashna) वास्तुत्रयविभागो नामैकादशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA निम्नोच्चादिफलानि नाम विंशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA चतुःशालविधानं नामैकोनविंशोऽध्यायः - १५१ ते २०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA महासमागमनो नाम प्रथमोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार हा भारतीय वास्तुशास्त्र सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ आहे, ज्याची रचना धार राज्याचे परमार राजा भोज (1000–1055 इ.स.) यांनी केली होती. Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA वेदीलक्षणं नाम सप्तचत्वारिंशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA श्रीकूटादिषट्त्रिंशत्प्रासादलक्षणं नाम षष्टितमोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA पुरनिवेशो दशमोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA चतुःशालविधानं नामैकोनविंशोऽध्यायः - २०१ ते २२४ समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA रुचकादिचतुष्षष्टिप्रासादकः षट्पञ्चाशोऽध्यायः - २५१ ते ३१२ समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA गजशाला नाम द्वात्रिंशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA लिङ्गपीठप्रतिमालक्षणं नाम सप्ततितमोऽध्यायः - १०१ ते १५७ समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA प्रासादद्वारमानादि नाम चतुष्पञ्चाशोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA सहदेवाधिकारो नाम षष्ठोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार हा भारतीय वास्तुशास्त्र सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ आहे, ज्याची रचना धार राज्याचे परमार राजा भोज (1000–1055 इ.स.) यांनी केली होती. Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA शान्तिकर्मविधिर्नाम द्विचत्वारिंशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA भूमिजप्रासादलक्षणं नाम पञ्चषष्टितमोऽध्यायः - १०१ ते १५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA मण्डपलक्षणं नाम षट्षष्टितमोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA अथाश्वशाला नाम त्रयस्त्रिंशोऽध्यायः - ५१ ते ७९ समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA गृहदोषनिरूपणं नामाष्टचत्वारिंशोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA मेर्वादिविंशिका नाम सप्तपञ्चाशोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA द्वासप्ततित्रिशाललक्षणं नामैकविंशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA मेर्वादिविंशिका नाम सप्तपञ्चाशोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA तोरणभङ्गादिशान्तिको नाम षट्चत्वारिंशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA रुचकादिप्रासादलक्षणं नामैकोनपञ्चाशोऽध्यायः - १५१ ते २०३ समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA रुचकादिचतुष्षष्टिप्रासादकः षट्पञ्चाशोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA जगतीलक्षणं नामैकोनसप्ततितमोऽध्यायः - १५१ ते २२० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA जगतीलक्षणं नामैकोनसप्ततितमोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA चतुःशालविधानं नामैकोनविंशोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA लिङ्गपीठप्रतिमालक्षणं नाम सप्ततितमोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA मेर्वादिषोडशप्रासादादिलक्षणं नाम पञ्चपञ्चाशोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA द्वारगुणदोषो नामैकोनचत्वारिंशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA अथायतननिवेशो नामैकपञ्चाशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA द्राविडप्रासादलक्षणं नाम द्विषष्टितमोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA रुचकादिप्रासादलक्षणं नामैकोनपञ्चाशोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA पीठपञ्चकलक्षणं नामैकषष्टितमोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA द्राविडप्रासादलक्षणं नाम द्विषष्टितमोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA ऋज्वागतादिस्थानलक्षणं नामैकोनाशीतितमोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA एकशालालक्षणफलादि नाम त्रयोविंशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA श्रीकूटादिषट्त्रिंशत्प्रासादलक्षणं नाम षष्टितमोऽध्यायः - ५१ ते ९९ समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA प्रासादस्तवनं नाम अष्टपञ्चाशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA शयनासनलक्षणं नाम एकोनत्रिंशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA राजगृहं नाम त्रिंशोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA वनप्रवेशो नाम षोडशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA विमानादिचतुष्षष्टिप्रासादलक्षणं नामैकोनषष्टितमोऽध्यायः - १५१ ते २०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA मानोत्पत्तिर्नाम पञ्चसप्ततितमोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA दोषगुणनिरूपणं नामाष्टसप्ततितमोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA प्रासादद्वारमानादि नाम चतुष्पञ्चाशोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA शिलान्यासविधिर्नाम पञ्चत्रिंशोऽध्यायः समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA कीलकसूत्रपातो नाम सप्तत्रिंशोऽध्यायः - १ ते ५० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA इन्द्र ध्वजनिरूपणं नाम सप्तदशोऽध्यायः - १५१ ते २१२ समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA रुचकादिप्रासादलक्षणं नामैकोनपञ्चाशोऽध्यायः - ५१ ते १०० समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। Tags: bhoj, samarangan, sanskrit, vastu, shastra, भोज, समराङ्गणसूत्रधार, संस्कृत, वास्तुशास्त्र Type: PAGE | Rank: 0.5392314 | Lang: NA Folder Page Word/Phrase Person Loading, please wait .. 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