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लक्षण
Meanings: 59; in Dictionaries: 9
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शुभ
Meanings: 111; in Dictionaries: 12
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auspice
Meanings: 8; in Dictionaries: 3
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एकादश पटल - उत्तम साधकस्य लक्षण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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भजन - ज्ञान शुभ कर्मको सुथल मिथ...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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श्री गणेश चालीसा - दोहा एकदन्त शुभ गज वदन वि...
चालीसा, देवी देवतांची काव्यात्मक स्तुती असून, भक्ताच्या आयुष्यातील सर्व संकटे दूर होण्यासाठी मदतीची याचना केली जाते.
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श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार - होगा कब वह सुदिन समय शुभ ...
श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारके परमोपयोगी सरस पदोंसे की गयी भक्ति भगवान को परम प्रिय है।
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शुभ लक्षण
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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भारूड - अगा ते परम शुभ ऐक । लाभ द...
Bharude is a kind of satirical form of presenting the faults of lay human beings. It was started by Eknath who is revered as a saint.
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symptom
Meanings: 13; in Dictionaries: 11
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शुभ काल
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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शुभ घड़ी
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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शुभ लगन
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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शुभ लग्न
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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शुभ शगुन
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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शुभ शकुन
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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शुभ मुहूर्त
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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अशुभ लक्षण
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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भावगंगा - स्वाध्यायी लक्षण
स्वाध्याय-प्रेमाने तुडुंब भरून वाहणारी ही भावगंगा आहे.
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अपह्नुति अलंकार - लक्षण ४
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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भ्रान्तिमान् अलंकार - लक्षण ३
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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चतुःश्लोकी भागवत - गुरुचें लक्षण
मराठी बहुजनसमाजांत श्रद्धा, भक्ति, प्रेम, समता आणि विश्वबंधुत्वाचें अतूट नाते निर्माण करणारे सत्पुरूष म्हणजे पैठणचे महाभागवत श्रीएकनाथमहाराज हेच होत.
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भ्रान्तिमान् अलंकार - लक्षण २
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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विभावना अलंकार - लक्षण ४
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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प्रसंग दुसरा - नर-पद्मिनी लक्षण
श्री संत शेख महंमद ( १५६०-१६५०) महाराष्ट्रातील वारकरी संप्रदायातील संत होते त्यांचे मुळ गाव श्रीगोंदा, जि अहमदनगर. शेख महंमदाना महाराष्ट्रात कबीराचा अवतार म्हणून ओळखले जाते.
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प्रतीप अलंकार - लक्षण ४
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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रूपक अलंकार - लक्षण ६
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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मध्यखंड - जीवाचें लक्षण
सत्कार्योत्तेजक सभा धुळें, महाराष्ट्रधर्मग्रन्थमाला
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अपह्नुति अलंकार - लक्षण ५
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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विभावना अलंकार - लक्षण ५
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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उपमालंकार - लक्षण २४
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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अपह्नुति अलंकार - लक्षण ८
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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रूपक अलंकार - लक्षण ५
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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उपमेयोपमा अलंकार - लक्षण ३
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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विशेष अलंकार - लक्षण ३
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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उत्प्रेक्षा अलंकार - लक्षण ८
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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पर्याय अलंकार - लक्षण १
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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प्रसंग दुसरा - ज्ञान विज्ञान मांडणी-लक्षण
श्री संत शेख महंमद ( १५६०-१६५०) महाराष्ट्रातील वारकरी संप्रदायातील संत होते त्यांचे मुळ गाव श्रीगोंदा, जि अहमदनगर. शेख महंमदाना महाराष्ट्रात कबीराचा अवतार म्हणून ओळखले जाते.
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विशेष अलंकार - लक्षण १
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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उपमेयोपमा अलंकार - लक्षण ५
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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निदर्शन अलंकार - लक्षण १
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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उल्लेखालंकार - लक्षण ६
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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ललित अलंकार - लक्षण २
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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सत्ताइसवाँ पटल - प्राणायाम लक्षण
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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रूपक अलंकार - लक्षण ४
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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तुल्ययोगिता अलंकार - लक्षण ३
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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प्रसंग चवथा - पुण्य पुरुष लक्षण
श्री संत शेख महंमद ( १५६०-१६५०) महाराष्ट्रातील वारकरी संप्रदायातील संत होते त्यांचे मुळ गाव श्रीगोंदा, जि अहमदनगर. शेख महंमदाना महाराष्ट्रात कबीराचा अवतार म्हणून ओळखले जाते.
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निदर्शन अलंकार - लक्षण ४
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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सम अलंकार - लक्षण ४
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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स्मरणालंकार - लक्षण ४
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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