-
अच्युत
Meanings: 38; in Dictionaries: 12
Type: WORD | Rank: 3.211861 | Lang: NA
-
अच्युताष्टकं - अच्युतं केशवं राम नारायणं...
देवी देवतांची अष्टके आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती होय. Traditionally,the ashtakam is recited in homes, when some one has health or any domestic problems.
Type: PAGE | Rank: 1.480623 | Lang: NA
-
immortal
Meanings: 11; in Dictionaries: 5
Type: WORD | Rank: 0.4007053 | Lang: NA
-
timeless
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.3271745 | Lang: NA
-
dateless
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.3271745 | Lang: NA
-
जल्लकिन्
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1093651 | Lang: NA
-
अच्युतोपाध्याय
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.08749207 | Lang: NA
-
आच्युतिक
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.05468255 | Lang: NA
-
तारली
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.04639968 | Lang: NA
-
गङ्गादास
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.04374604 | Lang: NA
-
कृष्णालंकारः
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.04374604 | Lang: NA
-
आच्युतन्ति
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.04374604 | Lang: NA
-
अच्युतवास
Meanings: 4; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.03827778 | Lang: NA
-
पौष व. प्रतिपदा
Pausha vadya Pratipada
Type: PAGE | Rank: 0.03280953 | Lang: NA
-
अच्युताग्रज
Meanings: 6; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 0.03280953 | Lang: NA
-
संत निवृत्तीनाथांचे अभंग - पंचतत्त्व कळा सोविळी संपू...
संत निवृत्तीनाथांचे अभंग संत निवृत्तीनाथ हे संत ज्ञानेश्वर महाराजांचे थोरले बंधू होत.सर्वसामान्य जनतेला संस्कृत भाषेतील भगवद्गीता समजत नव्हती म्हणून निवृत्तीनाथांनी ज्ञानेश्वरांना प्राकृत(मराठी)भाषेत लिहीण्यास सांगितली, तीच "ज्ञानेश्वरी". The eldest, Nivrutti, joined the nath sect and became Nivruttinath. He also become the guru of Dnyaneshwar. He, at the age of fourteen, instructed Dnyaneshwar, who was twelve, to write a commentry on the Bhagavad Gita
Type: PAGE | Rank: 0.02734127 | Lang: NA
-
संत निवृत्तीनाथांचे अभंग - नित्य हरिकथा नित्य नामावळ...
संत निवृत्तीनाथ हे संत ज्ञानेश्वर महाराजांचे थोरले बंधू होत.सर्वसामान्य जनतेला संस्कृत भाषेतील भगवद्गीता समजत नव्हती म्हणून निवृत्तीनाथांनी ज्ञानेश्वरांना प्राकृत(मराठी)भाषेत लिहीण्यास सांगितली, तीच "ज्ञानेश्वरी". The eldest, Nivrutti, joined the nath sect and became Nivruttinath. He also become the guru of Dnyaneshwar. He, at the age of fourteen, instructed Dnyaneshwar, who was twelve, to write a commentry on the Bhagavad Gita
Type: PAGE | Rank: 0.02734127 | Lang: NA
-
भजन - नमो आधी रुप ओकांर स्वरुपा...
भजन - A bhajan or kirtan is a Hindu devotional song , often of ancient origin. Great importance is attributed to the singing of bhajans with Bhakti , i.e. loving devotion. "Rasanam Lakshanam Bhajanam" means the act by which we feel more closer to our inner self or God, is a bhajan. Acts which are done for the God is called bhajan.
Type: PAGE | Rank: 0.02187302 | Lang: NA
-
आत्मबोध टीका - श्लोक ३४ व ३५
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
Type: PAGE | Rank: 0.02187302 | Lang: NA
-
क्षित्
Meanings: 7; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.02187302 | Lang: NA
-
दशी वाहणें
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.02187302 | Lang: NA
-
प्रच
Meanings: 8; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.02187302 | Lang: NA
-
एकनाथी भागवत - श्लोक २८ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.01913889 | Lang: NA
-
पञ्चदेवतास्तोत्रम्
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. In Hinduism, a Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
Type: PAGE | Rank: 0.01913889 | Lang: NA
-
पञ्चदेवतास्तोत्रम् - गणेशविष्णुसूर्येशदुर्गाख्...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. In Hinduism, a Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
Type: PAGE | Rank: 0.01913889 | Lang: NA
-
अर्थालंकार - अनुगुण
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
Type: PAGE | Rank: 0.01913889 | Lang: NA
-
तुळशीची आरती - जय देव जय देवी जय माये तु...
देवीदेवतांची काव्यबद्ध स्तुती म्हणजेच आरती. The poem composed in praise of God is Aarti.
Type: PAGE | Rank: 0.01913889 | Lang: NA
-
रोग हनन व्रत - रोगत्रयोपशमनव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
Type: PAGE | Rank: 0.01913889 | Lang: NA
-
श्रीकृष्णाची आरती - परमानंदा परम पुरुषोत्तमा ...
देवीदेवतांची काव्यबद्ध स्तुती म्हणजेच आरती. The poem composed in praise of God is Aarti.
Type: PAGE | Rank: 0.01640476 | Lang: NA
-
एकनाथी भागवत - श्लोक २४ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.01640476 | Lang: NA
-
चेवणें
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.01640476 | Lang: NA
-
श्रीकृष्ण आरती - श्रावणकृष्णाष्टमिसी गोकुळ...
देवीदेवतांची काव्यबद्ध स्तुती म्हणजेच आरती. The poem composed in praise of God is Aarti.
Type: PAGE | Rank: 0.01367064 | Lang: NA
-
नारायणदर्शनम्
क्षेमेन्द्र संस्कृत भाषेतील प्रतिभासंपन्न ब्राह्मणकुलोत्पन्न काश्मीरी महाकवि होते.
Type: PAGE | Rank: 0.01367064 | Lang: NA
-
अर्थालंकार - विवृतोक्ति
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
Type: PAGE | Rank: 0.01367064 | Lang: NA
-
साम्राज्यवामनटीका - श्लोक १०१ ते १२०
वामन नरहरी शेष उर्फ वामन पंडित (इ.स.१६३६ ते १६९५) हे १७ व्या शतकात होऊन गेलेले प्रख्यात मराठी कवी होते
Type: PAGE | Rank: 0.01353324 | Lang: NA
-
सहस्त्र नामे - श्लोक ६६ ते ७०
श्रीगणेशाच्या सहस्त्रनामांचे मराठी अर्थ.
Type: PAGE | Rank: 0.01183912 | Lang: NA
-
नाममहिमा - अभंग १२१ ते १३०
संत नामदेवांनी गंगा नदीचे माहात्म्य इतके छान वर्णन केले आहे की, जणू प्रत्यक्ष गंगास्नानाचा भास होतो.
Type: PAGE | Rank: 0.01183912 | Lang: NA
-
स्कंध १० वा - अध्याय ४९ वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
Type: PAGE | Rank: 0.01159992 | Lang: NA
-
पदसंग्रह - पदे १९६ ते २००
रंगनाथ स्वामींचा जन्म शके १५३४ परिघाविसंवत्सर मार्गशीर्ष शुद्ध १० रोजीं झाला.
Type: PAGE | Rank: 0.01159992 | Lang: NA
-
एकनाथी भागवत - श्लोक ५४ व ५५ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.01159992 | Lang: NA
-
गुणरूपनाम - ॥ समास पहला - आशकानाम ॥
श्रीसमर्थ ने इस सम्पूर्ण ग्रंथ की रचना एवं शैली मुख्यत: श्रवण के ठोस नींव पर की है ।
Type: PAGE | Rank: 0.01159992 | Lang: NA
-
च्युत
Meanings: 48; in Dictionaries: 11
Type: WORD | Rank: 0.01159992 | Lang: NA
-
एकनाथी भागवत - श्लोक २५ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.01093651 | Lang: NA
-
बालक्रीडा - अभंग १३६ ते १४०
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
Type: PAGE | Rank: 0.01093651 | Lang: NA
-
विष्णुस्मृतिः - अध्यायः ९८
स्मृतिग्रंथ म्हणजे धर्मशास्त्रावरील एक आवश्यक वचनांचा भाग.
Type: PAGE | Rank: 0.01093651 | Lang: NA
-
विसोबा खेचर
' अभंग ' म्हणजे संतकवींनी समाजजागृतीसाठी केलेल्या रसाळ रचना.
Type: PAGE | Rank: 0.01093651 | Lang: NA
-
धर्मसिंधु - स्नानभोजन
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे.
This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
Type: PAGE | Rank: 0.01093651 | Lang: NA
-
विश्वेश्वरसंहिता - अध्याय ८ वा
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.01093651 | Lang: NA
-
अध्याय ६१ वा - आरंभ
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
Type: PAGE | Rank: 0.01093651 | Lang: NA
-
श्रीविष्णुपुराण - प्रथम अंश - अध्याय २०
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
Type: PAGE | Rank: 0.01093651 | Lang: NA