कवन सुख बिखयामों भाई । बडे बडे डुबे तुजे मालुम क्यों नहीं ॥ध्रु०॥
इंद्र चंद्रकी गांड फारी विश्वामित्र भया कुत्ता ।
बिखयाका सोस करके कैशी भयी बाता ॥२॥
बङे महाराज दिंगाबर शिवजी उनोसे कहते ।
आसन छांड भिल्लनके पिछे तोबा तोबा कहते ॥३॥
चारो वेद ब्रह्मा पुढे भय वोही अंधा ।
आपने बेटीकी सूद नहा बना कुंभारका गद्धा ॥४॥
कहत कबीर सुनो भाई साधु हुशार रहना आच्छा है ।
भुल गया तो गांडगुडघा फेर जनम जुती है ॥५॥