मुखरा क्या देखे दरपनमों । दया धरम नहीं मनमों ॥ध्रु०॥
जबलग फूल रहे फुलाबाडी बास रहे निज फलमों ।
एक दिन ऐसी हो जावेगी घाय उडेगी तनमों ॥१॥
चुवा चंदन अबिर अरगजा शोभे गोरे तनमों ।
धन जोबन डोंगरका पानी ढल जावेगा खिनमों ॥२॥
नदियां गहिरी नाव पुरानी उतर चले संगममों ।
गुरुमुख तो ये सो पार उतारे नुगरा हुवे मनमों ॥३॥
कवडी कवडी माया जोडी सुरत रहे निज धनमों ।
दस दरबाजे घेरलिये जब रहेगयी मनके मनमों ॥४॥
पगिया बांधे पगअसवारे तेल झुला झुलपेमों ।
कहत कबीरा सुन भाई साधु ये क्या लढ रहे मनमों ॥५॥