नहीं तनुका भरंसा जैसा पाणी बिच फुलेगा बतासा ॥ध्रु०॥
ये तो दो दिनकी जिंदगानी मत करना मगरोरी ।
माया दौलत कुछ नहीं तेरी ये तो धूप छावकी फेरी ।
तुटेगी अगबतकी जब दोरी पलख नहीं सबूरी ।
आखर होयगा जंगलका बासा जैसा पानी बीच फुलेगा बतासा ॥१॥
बिछाने नरम तकियां मखमाल माडी उप्पर महाल ।
तुरंग हत्तीस चढना सुकपाल शेले दुपेटे लाल ।
खजीने जव्हारखाने हिरेही लाल सबही जावेगा डाल ।
साथी नहीं आवेगा रति मासा जैसा पानी बीच फुलेगा बतासा ॥२॥
कर कुछ खुदा नाम खैरात सोई कमाई चली तुमारे साथ ।
नहीं पडेगा जमके हाथ मार करेगा फस्त ।
कहत कबीर तुम बचेगा कैसा जैसा पाणी बिच फुलेगा बतासा ॥३॥