क्या धुंदि आखोंमें यारो । समज रखो कछु मनमों ॥ध्रु०॥
देखादेखी सब जावत है । कौन रह्या इस जगमो ॥
खलक चबिना काल चबावे । कछु पल्लव कछु मुखमों ॥१॥
राजा रंक मर्दांमर्दी । जोग जुगत सब तनमों ॥
लाखो हत्ती घोडे फौजा । लूट लेत है खिनमो ॥२॥
चौकी पहीरा नाके बंदी । आख नयन बाजोमों ॥
कहत कबीरा सुन भाई । साधु कौन छुडावे इनामों ॥३॥