आजका लाये ओ लीजिये काल कोनने देखी ।
एक पल रहने न पावसी जब उतरेगी चिठी ॥ध्रु०॥
सोंगी पीठ बिजारकी सब कोई सौदेकू आया ।
सेठने बुलाया लाभकूं ह्यां तो मुद्दल गमाया ॥१॥
सच्चा सौदा जिने किया सो नर लाभ ले छुटा ।
खोटा सौदा जिने कियु सो नर खुड्डेमें गुठा ॥२॥
कहत कबीरा मैंने बनझ किया तो मैं ये बुध पायीं ।
रहामें मिला सद्गुरु उनने दरगाह बताई ॥३॥