ऐसी चकमक होती यारो गरीबके बुरे हालजी ॥ध्रु०॥
माया डाखीन बडी खडी लढती है निर्वानजी ॥१॥
आशा उठी मनशा उठी लेवे नाक कानजी ॥२॥
काम क्रोधके घोडे छुटे कीया दानादानजी ॥३॥
अहंकारकी गाडी भरी ले जावे निधानजी ॥४॥
सींध कुमर दिया ऐसा बेगुमानजी ॥५॥
रामनामका प्रताप ऐसा पूरन होय कामजी ॥६॥
कहत कबीरा सुन भाई साधु जपो रामनामजी ॥७॥