याद करो मौलाकी । बिठ्ठल पीर पैगंबरकी ॥ध्रु०॥
तीन लोकमों सांई हमारा पंढरपुरमो बडा है ।
पुंडलीकसे मिलने आया रह्या बीटपर खडा है ॥१॥
मदन मुरत खुब सुरत भुलगया भगवतनकु ।
भीमा कीनारे आपही ठाडा जुग अठ्ठावीस भये उनकू ॥२॥
शंख चक्र पद्म बिराजे पीतवसन श्याम तनकू ।
केशर कस्तुर शीस मिरवित आनंद भयो सबकू ॥३॥
कहत कबीर भाई साधू ध्यान धरो उनकू ।
जनम मरन मिट गया फेरा येही बुझो तनकू ॥४॥