जग भये उफरटे झुटेकू साहेब कैसा भेटे ॥ध्रु०॥
फत्तर उपर शेंदूर डारे । मुरख कहे ये देव मोटे ।
लडकाजी खातर नवस । किये देवकू नारळ फुटे ॥१॥
देवके आगे डारे कटोरे । आपण खा गये गोटे ॥२॥
सजीव बकरा निर्जीव देवके आगे काटे ।
मिलगये आलम खागये बकरा देवके हातमें झाटे ॥३॥
देनेवाला ओ है न्यारा सब देव उनकू भेटे ।
कहत कबीरा मुरशद मौला रामरंग है लुटे ॥४॥