क्यौं आंखियामें भरी धुंदी । बच्चे सात नहीं आवेगीं चिंधी ॥ध्रु०॥
खावे पिवे सुखसे सोवे बाहर मजेदारी ।
महेल खजाना भर कचेरी छांड जावे मट्टी भरे मुमे सारी ॥१॥
अगला मरे पिच्छला रोवे उनोकी क्या खबरदारी ।
जब जमकी सवारी आये फेर ना चले बरजोरी ॥२॥
कहत कबीर सुनो भाई ये दुनिया हे बुरी ।
तुम आपना हुशार होके संतपगशिस बलजोरी ॥३॥