देख बे देखें यह अलखने पलखमें खलक पैदा किया रचा है चित्र साक नाना ।
आपही गौप है आपही गोपिका नंद और कान्हा ॥१॥
आपही राम आपही रावण आपही आपको आप मारा ।
आप प्रल्हाद नरसिंह हिरण्यकश्यप आपही आपका उदार फारा ॥२॥
आपही गत और आपही औगत आप जिता और हारा ।
कहे कबीर यहीच हारबाजीकी चित्रकी बागमें कौन मारा ॥३॥