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craved
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desired
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प्रत्याशित
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वाञ्छित
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कमलापत्यष्टकम् - भुजगतल्पगतं घनसुन्दरं गरु...
देवी देवतांची अष्टके, आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती होय. Traditionally,the ashtakam is recited in homes, when some one has health or any domestic problems.
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः १५७
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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उत्पत्तिप्रकरणं - सर्गः ११२
योगवासिष्ठः
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः १६७
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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उपशमप्रकरणम् - सर्गः २२
योगवाशिष्ठ महारामायण संस्कृत साहित्यामध्ये अद्वैत वेदान्त विषयावरील एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ आहे. ह्याचे रचयिता आहेत - वशिष्ठ
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सप्तशीतितमः पटलः - परनाथाअष्टोत्तरसहस्त्रनामा्नि १
परनाथाअष्टोत्तरसहस्त्रनामा्नि
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उत्तर पर्व - अध्याय ७२
भविष्यपुराणांत धर्म, सदाचार, नीति, उपदेश, अनेक आख्यान, व्रत, तीर्थ, दान, ज्योतिष अणि आयुर्वेद शास्त्र वगैरे विषयांचा अद्भुत संग्रह आहे.
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शिवगीता - प्रथमोध्यायः
गीता म्हणजे प्राचीन ऋषी मुनींनी रचलेली विश्व कल्याणकारी मार्गदर्शक तत्त्वे
Gita has the essence of Hinduism, Hindu philosophy and a guide to peaceful life and ever lasting world peace.
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उत्पत्तिप्रकरणं - सर्गः ८६
योगवासिष्ठः
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पौषमास: - मकरसङ्क्रान्ति
सर्व जगतात हिंदू धर्माची व्याख्या होते ती, धर्मातील उपासना आणि उत्सवप्रियतेमुळे, आणि यांना जोड असते व्रत-वैकल्याची आणि धार्मिक पूजेची.
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पूर्वभागः - अध्यायः ४१
अठरा पुराणांमध्ये भगवान् शंकराची महान महिमा लिंगपुराणात वर्णिलेली आहे. यात ११००० श्लोक आहेत. प्रथम योग आणि नंतर कल्प असे विवेचन गुरू वेदव्यास यांनी या पुराणात सांगितले आहे. हा शिव पुराणाच पूरक ग्रंथ आहे.
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अध्याय २८८ - अछश्ववाहनसारः
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ५३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः ४८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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निर्वाणप्रकरणं - सर्गः ११
योगवाशिष्ठ महारामायण संस्कृत साहित्यामध्ये अद्वैत वेदान्त विषयावरील एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ आहे. ह्याचे रचयिता आहेत - वशिष्ठ
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विष्णुधर्माः - अध्याय २
विष्णुधर्माः
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शतरुद्रसंहिता - अध्यायः २७
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः १८०
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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शतरुद्रसंहिता - अध्यायः ७
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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मन्त्रमहोदधिः - सप्तमः तरङ्गः
श्रीमन्महीधर भट्ट ने स्वयं इस ग्रंथ में शान्ति , वश्य , स्तम्भन , विद्वेषण , उच्चाटण और मारण की विधि बताई है ।
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः १४७
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३३४
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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मार्कण्डेयपुराणम् - त्र्यधिकशततमोऽध्यायः
मार्कण्डेय पुराणात नऊ हजार श्लोकांचा संग्रह आहे.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः २५५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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मन्त्रमहोदधिः - द्वितीयः तरङ्गः
इस ग्रंथमें जितने भी देवताओंके मंत्रप्रयोग बतलाये गए हैं , उन्हें सिद्ध करनेसे उत्तम ज्ञान की प्राप्ति होती है।
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४९०
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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श्री नारदीयमहापुराणम् - षोडशोऽध्यायः
नारदपुराणात शिक्षण, कल्प, व्याकरण, छन्द शास्त्राचे आणि परमेश्वराच्या उपासनेचे विस्तृत वर्णन आहे.
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः ३२
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः २२०
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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मन्त्रमहोदधौ गणेशतरड्ग:
गणेशाच्या प्रस्तुत उपासना केल्याने सर्व मनोकामना पूर्ण होतात.
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श्री कृष्ण सहस्त्रनामस्तोत्रम्
हिंदू देवदेवतांची सहस्त्र नावे, स्तोत्र रूपात गुंफलेली आहेत. Sahastranaamastotra is a perticular stotra in which, the 1000 names of hindu Gods are introdused.
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः ५२
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४११
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः ५०
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४०५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ५५४
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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नैषधीयचरितम् - अष्टादश सर्गः
महाकवि श्रीहर्षरचितं नैषधीयचरितम् हा ग्रंथ म्हणजे संस्कृत भाषेतील अतिउत्तम रचना होय.
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वेतालपञ्चविंशति - कथा २०
`बेताल पचीसी' पच्चीस कथाओं से युक्त एक ग्रन्थ है । इसके रचयिता बेतालभट्ट बताये जाते हैं जो न्याय के लिये प्रसिद्ध राजा विक्रम के नौ रत्नों में से एक थे । ये कथायें राजा विक्रम की न्याय-शक्ति का बोध कराती हैं ।
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खण्डः २ - अध्यायः १२४
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः ४५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४०७
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३५४
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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शारदातिलकान्तर्गत: गणेशपटल :
गणेशाच्या प्रस्तुत उपासना केल्याने सर्व मनोकामना पूर्ण होतात.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३९९
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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उत्तर पर्व - अध्याय ८३
भविष्यपुराणांत धर्म, सदाचार, नीति, उपदेश, अनेक आख्यान, व्रत, तीर्थ, दान, ज्योतिष अणि आयुर्वेद शास्त्र वगैरे विषयांचा अद्भुत संग्रह आहे.
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विश्वामित्रसंहिता - चतुर्दशोऽध्याय:
विश्वामित्रसंहिता
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