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गुप्त मन, उ तम वाचा धरी, तो सुखें देशपलाटन करी

   
Script: Devanagari

गुप्त मन, उ तम वाचा धरी, तो सुखें देशपलाटन करी

   जो आपले विचार मनात ठेवतो, भाबड्यासारखे वाटेल तेथे बोलून टाकीत नाही
   तसेच जो नेहमी वाचेने बोलावयाचे ते चांगलेच बोलतो, अपशब्‍द सहसा तोंडावाटे बाहेर काढीत नाही, तो सर्व देशभर हिंडला तरी त्‍याला कोठे त्रास होत नाही. याकरितां बडबड करूं नये व नेहमी चांगले बोलत जावे.

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