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سنکرانتی
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.6906551 | Lang: NA
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संक्रान्ति
Meanings: 16; in Dictionaries: 5
Type: WORD | Rank: 0.5909802 | Lang: NA
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संक्रान्तिव्रत - संक्रान्ति बहुसम्मत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
Type: PAGE | Rank: 0.3843202 | Lang: NA
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संक्रान्ति व्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
Type: INDEX | Rank: 0.2825132 | Lang: NA
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संक्रांति
Meanings: 6; in Dictionaries: 4
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சங்கராந்தி
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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ସଂକ୍ରାନ୍ତି
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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સંક્રાંતિ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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സംക്രാന്തി
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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सग्राँती
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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सङ्क्रान्तिः
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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ಸಂಕ್ರಾಂತಿ
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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సంక్రాంతి
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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ਸੰਗਰਾਂਦ
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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संक्रांत
Meanings: 10; in Dictionaries: 6
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संक्रान्तिव्रत - महाजया संक्रान्तिव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
Type: PAGE | Rank: 0.1369983 | Lang: NA
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संक्रान्तिव्रत - संक्रमणव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
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সংক্রান্তি
Meanings: 5; in Dictionaries: 2
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मकर संक्रान्ति
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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संक्रान्तिव्रत - धनसंक्रान्तिव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
Type: PAGE | Rank: 0.06598627 | Lang: NA
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संक्रान्तिव्रत - आयुःसंक्रान्तिव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
Type: PAGE | Rank: 0.06598627 | Lang: NA
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संक्रान्तिव्रत - धान्यसंक्रान्तिव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
Type: PAGE | Rank: 0.06598627 | Lang: NA
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संक्रान्तिव्रत - भोगसंक्रान्तिव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
Type: PAGE | Rank: 0.06598627 | Lang: NA
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संक्रान्तिव्रत - मेषादिगत सूर्यव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
Type: PAGE | Rank: 0.06598627 | Lang: NA
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संक्रान्तिव्रत - रुपसंक्रान्तिव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
Type: PAGE | Rank: 0.06598627 | Lang: NA
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संक्रान्तिव्रत - तेजःसंक्रान्तिव्रत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
Type: PAGE | Rank: 0.06598627 | Lang: NA
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संक्रान्तिव्रत - संक्रान्तिव्रत वङ्गऋषिसम्मत
व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।
Type: PAGE | Rank: 0.06598627 | Lang: NA
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12
Meanings: 14; in Dictionaries: 13
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xii
Meanings: 4; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 0.01924599 | Lang: NA
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twelve
Meanings: 5; in Dictionaries: 3
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dozen
Meanings: 7; in Dictionaries: 5
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अरन्धनम्
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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بیساکھی
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
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बैसाखी
Meanings: 8; in Dictionaries: 4
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संक्रान्त
Meanings: 13; in Dictionaries: 3
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महाविषुव
Meanings: 6; in Dictionaries: 5
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स्थान तथा काल-मान
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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धर्मसिंधु - व्यतीपातवैधृतिसंक्रान्तिशान्ति
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
Type: PAGE | Rank: 0.001570542 | Lang: NA
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निषिध्द काल
प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.001570542 | Lang: NA
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मित्रसम्प्राप्ति - कथा २
पंचतंत्र मतलब उच्चस्तरीय तात्पर्य कथा संग्रह।
Type: PAGE | Rank: 0.001570542 | Lang: NA
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धर्मसिंधु - तिथि, नक्षत्रे, वार - विधिनिषेध
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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धर्मसिंधु - सर्वशाखीय उपाकर्मनिर्णय
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
Type: PAGE | Rank: 0.001404736 | Lang: NA
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धर्मसिंधु - उपनयन तिथिविचार
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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धर्मसिंधु - जानवी घालण्याचा निर्णय
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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धर्मसिंधु - नामकरणसंस्कार
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
Type: PAGE | Rank: 0.001256434 | Lang: NA
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क्षौर-कर्म और तैलाभ्यन्ग-विधि
प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.001256434 | Lang: NA
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धर्मसिंधु - संक्रान्तिपर्वकाळ
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
Type: PAGE | Rank: 0.001256434 | Lang: NA
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शिक्षक
Meanings: 20; in Dictionaries: 11
Type: WORD | Rank: 0.00109938 | Lang: NA
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धर्मसिंधु - वर्धापनविधि
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः १५५
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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