आयुःसंक्रान्तिव्रत
( स्कन्दपुराण ) - संक्रान्तिके समय काँसीके पात्रमें यथासामर्थ्य घी, दूध और सुवर्ण रखकर गन्धादिसे पूजन करके
' क्षीरं च सुरभीजातं पीयूषममलं घृतम् । आयुरारोग्यमैश्वर्यमतो देहि द्विजार्पितम् ॥'
से उसका दान करे तो तेज, आयु और आरोग्यता आदिकी वृद्धि होती है ।