सुरता राम भजाँ सुख पावो ॥
राम भज्याँ थारा बन्धन कटता । सहज परमपद पावो ॥टेर॥
सत-संगत कर हरि रस पीवो । संशय ताप मिटाओ ।
हरिक ध्यान धरो निसिवासर । नामकी रटन लगाओ ॥
सुकृत-कर्म करो बिनु स्वारथ । संयम सेवा बढ़ाओ ॥
रामकृपाते सतगुरु मिलिया । उनके चरण चित लाओ ॥