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श्रीवृन्दावन -धाम अपार ...

नाम महिमा - श्रीवृन्दावन -धाम अपार ...

भगवन्नामकी महिमा अपरंपार है, नामोच्चारसे जीवनके पाप नष्ट हो जाते है ।


श्रीवृन्दावन-धाम अपार रटे जा राधे-राधे ।

भजे जा राधे-राधे ! कहे जा राधे-राधे ॥१॥

वृन्दावन गलियाँ डोले, श्रीराधे-राधे बोले ।

वाको जनम सफल हो जाय, रटे जा राधे-राधे ॥२॥

या ब्रज की रज सुन्दर है, देवनको भी दुर्लभ है ।

मुक्ता रज शीश चढ़ाय, रटे जा राधे-राधे ॥३॥

ये वृन्दावन की लीला, नहीं जाने गुरु या चेला ।

ऋषि-मुनि गये सब हार, रटे जा राधे-राधे ॥४॥

वृन्दावन रास रचायो, शिव गोपी रुप बनायो ।

सब देवन करें विचार, रटे जा राधे-राधे ॥५॥

जो राधे-राधे रटतो, दु:ख जनम-जनम को कटतो ।

तेरो बेड़ो होतो पार, रटे जा राधे-राधे ॥६॥

जो राधे-राधे गावे, सो प्रेम पदारथ पावे ।

भव-सागर होवें पर, रटे जा राधे-राधे ॥७॥

जो राधा नाम न गयो, सो विरथा जन्म गँवायो ।

वाको जीवन है धिक्कार, रटे जा राधे-राधे ॥८॥

जो राधा-जन्म न होतो, रसराज विचारो रोतो ।

होतो न कृष्ण अवतार, रटे जा राधे-राधे ॥९॥

मंदिर की शोभा न्यारी, यामें राजत राजदुलारी ।

डयौढ़ी पर ब्रह्मा राजे, रटे जा राधे-राधे ॥१०॥

जेहि वेद पुराण बखाने, निगमागम पार न पाने ।

खड़े वे राधे के दरबार, रटे जा राधे-राधे ॥११॥

तू माया देख भुलाया, वृथा ही जनम गँवाया ।

फिर भटकैगो संसार, रटे जा राधे-राधे ॥१२॥

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Last Updated : January 22, 2014

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