जग में सुन्दर हैं दो नाम, चाहे कृष्ण कहो या राम ॥टेर॥
एक हृदयमें प्रेम बढ़ावै, एक ताप सन्ताप मिटावै ।
दोनू सुख के सागर हैं, दोनू पूराण काम ॥१॥
माखन ब्रज में एक चुरावै, एक बेर भिलनी का खावै ।
प्रेम भाव के भरे अनोखे, दोनू के हैं काम ॥१॥
एक पापी कंस संहारे, एक दुष्ट रावण को मारे ।
दोनू दीन के दु:ख हरता हैं, दोनू बलके धाम ॥३॥
एक राधिका के संग राजे, एक जानकी संग बिराजे ।
चाहे सीताराम कहो, चाहे राधेश्याम ॥४॥
दोनू हैं घट-घट के बासी, दोनू हैं आनन्द प्रकासी ।
राम श्याम के दिव्य भजन ते, मिलता है विश्राम ॥५॥