बोल हरि बोल, हरि हरि बोल, केशव माधव गोविन्द बोल ॥टेर॥
नाम प्रभु का है सुखकारी, पाप कटेंगे क्षणमें भारी ।
नामका पीले अमृत घोल, केशव माधव गोविन्द बोल ॥१॥
शबरी अहिल्या सदन कसाई, नाम जपनसे मुक्ति पाई ।
नाम की महिमा है बेतोल , केशव माधव गोविन्द बोल ॥२॥
सुवा पढ़ावत गणिका तारी, बड़े-बड़े निशिचर संहारी ।
गिन-गिन पापी तारे तोल, केशव माधव गोविन्द बोल ॥३॥
नरसी भगतकी हुण्डी सिकारी, बन गयो साँवलशाह बनवारी।
कुण्डी अपने मनकी खोल, केशव माधव गोविन्द बोल ॥४॥
जो-जो शरण पड़े प्रभु तारे, भवसागरसे पार उतारे ।
बन्दे तेरा क्या लगता है मोल, केशव माधव गोविन्द बोल ॥५॥
राम-नामके सब अधिकारी बालक वृध्द युवा नर नारी ।
हरि जप इत-उत कबहुँ न डोल, केशव माधव गोविन्द बोल ॥६॥
चक्रधारी भज हर गोविन्दम्, मुक्तिदायक परमानन्दम् ।
हरदम कृष्ण मुरारी बोल, केशव माधव गोविन्द बोल ॥७॥
रट ले मन ! तू आठों याम, राम नाममें लगे न दाम ।
जन्म गवाँता क्यों अनमोल, केशव माधव गोविन्द बोल ॥८॥
अर्जुनका रथ आप चलाया, गीता कहकर ज्ञान सुनाया ।
बोल, बोल हित-चितसे बोल, केशव माधव गोविन्द बोल ॥९॥