नन्दानन्दन घनश्याम, भज मन राधे राधे,
जीवन-धन घनश्याम ॥ भज० ॥१॥
गोपीजन - प्राणधन
वृन्दावन -बिहारी श्याम ।
भक्तनके जीवन -धन,
अवध -बिहारी राम ॥२॥
गोपी-वल्लभ राघेश्याम,
प्रेमसे बोलो सीताराम ॥३॥
दीनबन्धु दीनानाथ,
मेरी डोरी तेरे हाथ ।
शरण पड़ेगी रख लो लाज,
दीनबन्धु दीनानाथ ॥४॥
दीनानाथ आवो नाथ,
करुणा-हस्त बढ़ाओ नाथ ॥५॥
राम-धनु लागी,गोपाल-धनु लागी,
कृष्ण-धुन लागी, गोपाल-धनु लागी॥६॥
राधे-कृष्ण गोविन्द-गोविन्द,
जय गोपाल ॥७॥
कृष्ण हो रामा-रामा,
गोविन्द हरि-हरि ॥८॥
जय सीताराम सीताराम,
सीताराम जय सीताराम ॥९॥
जय सिया-राम,
जय-जय सियाराम ॥१०॥
गोविन्दो नहिं गायो तो,
फिर क्या कमायो बावरे ॥११॥
भज बालकृष्ण नन्दलाल, गोविन्द गोपाला,
तेरी माधुरी मूरत पै वारुँ गोपाल ॥१२॥
कुञ्जमें विराजे घनश्याम,
भज मन राधे-राधे ॥१३॥
राजा रणछोड़, राजा रणछोड़
द्वारकाको नाथ म्हारो राजा रणछोड़ ॥१४॥
नटवर-नागर-नन्दा,
भजो रे मन गोविन्दा ॥१५॥
मुख राम कृष्ण, राम कृष्ण बोलिये रे,
सीताराम न भजन लावो लीजिये रे ॥१६॥
सत् चित् आनन्द राजाराम !
पतित-पावन श्रीपति राम ॥१७॥
राम जपु राम जपु राम जपु बावरे,
घोर भव-नीर-निधि नाम निज नाव रे ॥१८॥
हरिः शरणं हरिः शरणं,
हरिः शरणं हरिः शरणं (सनकादि) ॥१९॥
संसारना भय निकट न आवे,
श्रीकृष्ण गोविन्द गोपाल गाताँ (नरसी) ॥२०॥
जय-जय महादेव शंभो !
काशी विश्वनाथ गंगे ॥२१॥
रामजीका नाम सदा मिसरी,
जब चाखै तब गोंद गिरी ॥२२॥
राम नाम लडुवा, गोपाल नाम घी,
कृष्ण-नाम खीर-खाँड, घोल-घोल पी ॥२३॥
तालियाँ बजावो भाई !
राधे- गोविन्द गावो !
सीताराम राधेश्याम बोलो,
और बुलावो ॥२४॥