सीताराम सीताराम सीताराम बोल ।
राधेश्याम राधेश्याम राधेश्याम बोल ,॥
यह दुनिया है गोरख-धन्धा, भेद समझता कोई-कोई बन्दा ।
ब्रह्म स्वरुप तराजू तोल, सीताराम सीताराम सीताराम बोल, ॥
क्यों विषयों में मन को लगाया, पालनहार को दिलसे भुलाया ।
जीवन मिट्टीमें ना रोल, राधेश्याम राधेश्याम राधेश्याम बोल, ॥
भज ले रे मन ! कृष्न मुरारी, नटवर-नागर कुञ्जबिहारी ।
नालगता कछु तेरा मोल, राधेश्याम राधेश्याम बोल, ॥
राम भजन बिन मुक्ति न होवे, हीरा-जन्म तू व्यर्थ ही खोवे ।
राम-रसायन पीले घोल, सीताराम सीताराम सीताराम बोल,॥
लख चौरासीमें भरमाया, मुश्किलसे यह नर-तन पाया ।
मूरख अंधे नैना खोल, सीताराम सीताराम सीताराम बोल, ॥
जो चाहे भव-सागर तरना, मिट जावे यह जीना-मरना ।
पापकी गठरी सिरसे खोल, सीताराम सीताराम बोल, ॥
राधे-कृष्ण श्याम-बिहारी गोपी-बल्लभ गिरवर-धारी।
मोहन नटवर-नागर बोल, राधेश्याम राधेश्याम बोल, ॥
नाम प्रभुका है सुखकारी, पाप कटेंगे क्षणमें भारी।
पापकी गठरी दे तू खोल, सीताराम सीताराम सीताराम बोल, ॥
प्राणी है तू भोला-भाला मायाका है खेल निराला ।
खुल जायेगी तेरी पोल, सीताराम सीताराम सीताराम बोल ॥
हरि बिन बीतत ऊमर सारी, फिर आयेगी कालकी बारी ।
प्रभु-पद तूँ भज ले अनमोल, सीताराम सीताराम सीताराम बोल ॥