कार्तिक कृष्णपक्ष व्रत - कार्तिकी अमावास्या

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


कार्तिकी अमावास्या

( भविष्योत्तर ) -

इस दिन प्रातःस्त्रानादि करनेके अनन्तर देव, पितृ और पूज्यजनोंका अर्चन करे और दूध, दही तथा घी आदिसे श्राद्ध करके अपराह्णके समय नगर, गाँव या बस्तीके प्रायः सभी मकानोंको स्वच्छ और सुशोभित करके विविध प्रकारके गायन, स्वजन या सम्बन्धियोंसहित आधी रातके समय सम्पूर्ण दृश्योंका निरीक्षण करे । उसके बाद रात्रिके शेष भागमें सूप ( छाजला ) और डिंडिम ( डमरु ) आदिको वेगसे बजाकर अलक्ष्मीको निकाले ।

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Last Updated : January 22, 2009

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